मुल्क भर में ईद-उल-अज़हा रिवायती जोश-ओ-ख़रोश से मनाई गई

सारे हिंदूस्तान में मुस्लमानों ने ईद-उल-अज़हा रिवायती जोश-ओ-ख़रोश से मनाई। इस मौके पर ईदगाहों में लाखों मुस्लमानों ने नमाज़ अदा की और हज़रत इबराहीम अलैहिस्सलाम की पैरवी करते हुए क़ुर्बानी दी। इस्लामी अहकामात के मुताबिक़ गोश्त की गरबा-ए-और रिश्तेदारों में तक़सीम-ए-अमल में आई।

मुस्लमानों ने एक दूसरे को बग़लगीर होकर मुबारकबाद दी। नमाज़ ईद के मौके पर ख़ुत्बों में अइम्मा इकराम ने हज़रत इबराहीम अलैहिस्सलाम की अज़ीमुश्शान क़ुर्बानी की याद दिलाई जिन्हों ने अल्लाह के हुक्म के आगे सर ख़म तस्लीम करते हुए अपने फ़र्ज़ंद हज़रत इसमईल अलैहिवास्सलाम को क़ुर्बान करने केलिए तैय्यार होगए थे ।

अल्लाह ताला को अपने महबूब बंदे की ये अदा इस क़दर पसंद आई कि रहती दुनिया तक के लिए इस क़ुर्बानी को मिसाल बनादिया गया चुनांचे दुनिया भर में मुस्लमान हज़रत इबराहीम अलैहिवास्सलाम की तामील करते हुए इस्तिताअत के मुताबिक़ जानवर को अल्लाह की राह में क़ुर्बान करते हैं।

ये दरअसल इस बात का सबूत है कि बंदा मोमिन ख़ुदा की राह में अपनी जान भी क़ुर्बान करने केलिए तैय्यार है। यही नहीं बल्कि इस्लामी तालीमात पर अमल आवरी हर मुस्लमान का शेवा है और उसे दुनयवी ज़िंदगी में हर लम्हा अल्लाह और इस के रसोल की दी गई हिदायत के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारना है। ये अह्द इस अह्द की याद दिलाता है। दार-उल-हकूमत दिल्ली की शाही मस्जिद फ़तहपोरी में एक अंदाज़े के मुताबिक़ दो लाख मुस्लमानों ने नमाज़ अदा की।

शाही इमाम मौलाना डाँक्टर मुफ़्ती मुहम्मद मुकर्रम अहमद ने मुस्लमानों को किताब-ओ-सुन्नत के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारने की तलक़ीन और अख़लाक़ हसना, इख़लास और तक़वा इख़तियार करने की ताकीद की। आप ने फ़रमाया हमें अपनी ख़ाहिशात-ओ-जज़बात, ऐश-ओ-आराम को अल्लाह के लिए क़ुर्बान करने की ज़रूरत है।

हज़रत इबराहीम ख़लील उल्लाह अलैहिवास्सलाम और हज़रत इसमईल ज़बीह-उल्लाह अलैहिवास्सलाम के पैग़ाम को समझने की ज़रूरत है। शाही इमाम ने मसाइल क़ुर्बानी और फ़ज़ाइल-ओ-नीज़ मसाइल ईद ब्यान किए। आप ने कहा कि मज़हब इस्लाम अमन का दाई है।

इस में मुहब्बत , रवादारी और इंसानी इक़दार की एहमीयत है। दहश्तगर्दी से इस्लाम का कोई ताल्लुक़ नहीं है। जिन लोगों को गिरफ़्तार किया गया है, वो मुस्लिम नौजवान इंशाअल्लाह जल्द रिहा होंगे। आप ने मुस्लिम नौजवानों की अंधा धुंद गिरफ़्तारी की मुज़म्मत की।

उन्हों ने कहा कि फ़िर्कापरस्त लोग इश्तिआल दिलाकर मुस्लमानों को निशाना बनारहे हैं लिहाज़ा जोश के साथ होश की भी ज़रूरत है। नौजवानों को अपने बड़ों के मश्वरे से काम करना चाहीए। उन्हों ने मुल्क में फ़िर्कापरस्ती के फेलाव‌ की मज़म्मत की और हुकूमत से उसे लगाम देने का मांग‌ किया।

उन्हों ने कहा कि आज हमारी मस्जिदें और क़ब्रिस्तान महफ़ूज़ नहीं हैं। मुझे भी धमकीयों के खत‌ मिलते हैं लेकिन क़ौम के हक़ की आवाज़ बुलंद करना हमारा मज़हबी फ़रीज़ा है। उन्हों ने सच्चर कमेटी और मिश्रा कमेटी की सिफ़ारिशात लागू करने और दफ़ा 341 के तहत रिज़र्वेशन मुस्लमानों को देने की मांग की।

हमारे हुक़ूक़ मिलने चाहिऐं। और फ़िर्कावाराना फ़सादाद की रोक थाम का बिल पास होना चाहीए। मुल्क में महंगाई, बदउनवानी की भी मज़म्मत की। उन्हों ने मज़ीद कहा कि मुस्लमान ज़िंदा क़ौम हैं। इन में तालीम और बेदारी आनी चाहीए। शाही इमाम ने फ़लस्तीनीयों पर इसराईली हमलों की मुज़म्मत की।

शाम में बदअमनी पर इज़हार ग़म करते हुए अमरीका की इसराईली पुश्तपनाही की मुज़म्मत की। इसराईल पर पाबंदी लगाने का और ईरान से पाबंदीयां उठाने का भी मांग‌ किया। यू एन ओ से इसराईल पर लगाम लगाने का मांग‌ किया और फ़्रांस में मस्जिद पर हमले की मुज़म्मत की।

शाही इमाम ने मस्जिद अकसा और बाबरी मस्जिद की बाज़याबी , अमन आलम और हिंदूस्तान में अमन-ओ-ख़ुशहाली की दुआ की। ईद-उल-अज़हा के मौके पर ग़ैरमामूली स्कियोरटी इंतिज़ामात किए गए थे। जम्मू-ओ-कश्मीर के दार-उल-हकूमत श्रीनगर में संगबारी के वाक़िया के साथ मुल्क भर में ईद बहैसीयत मजमूई पुरअमन रही।

श्रीनगर के पुराने शहर में संगबारी का वाक़िया पेश आया जिस में एक ख़ातून ज़ख़मी होगई। ओहदेदारों ने बताया कि पुलिस ने हुजूम को क़ाबू में करने केलिए लाठी चार्ज किया और आँसू ग़ियास के शीलस इस्तिमाल किए।