मुमताज़ समाजी जहद कार-ओ-सहाफ़ी तीस्ता सीतलवाद ने कहा कि इन दिनों हमारा मुल्क इंतेहाई नाज़ुक दौर से गुज़र रहा है और हिंदुस्तान की सियासी, समाजी, मआशी सूरत-ए-हाल इंतेहाई संगीन होती जा रही है।
मुल्क में फ़िर्कावारी और ज़ात पात की सियासत, इंसानी हुक़ूक़ की पामाली, फ़िर्कावाराना तशद्दुद, फ़िर्कावाराना जुनून का दौर दौरा है जिस के नतीजे में मुल्क की सालमीयत को ख़तरा लाहक़ होगया है।
श्तीस्ता सीतलवाद सुंदरिया विग्नान केंद रुम मैनेजिंग कमेटी के ज़ेरे एहतेमाम मुनाक़िदा सुंदरिया मैमोरियल लेक्चर से मुख़ातिब थीं। उन्होंने बताया कि मर्कज़ में बरसर-ए-इक़तेदार बी जे पी हुकूमत मुख़ालिफ़ अवाम, मुख़ालिफ़ किसान, मुख़ालिफ़ मज़दूर पालिसीयों पर अमल पैरा है जिस के नतीजे में मुल्क में सियासी अदम इस्तिहकाम, इंतेशार और बदअमनी फैली हुई है। उन्होंने कहा कि बी जे पी हुकूमत , मज़हब की सियासत कररही है और कहा कि बी जे पी की ज़ेरे असर भगवा तंज़ीमों की तरफ से मुल्क में मज़हबी मुनाफ़िरत फैलाई जा रही है।
कमज़ोर और पसमांदा तबक़ात के साथ नाइंसाफ़ी की जा रही है। एससी, एसटी और माइनॉरिटीज के हुक़ूक़ की पामाली की जा रही है। उन्होंने कहा कि मुल्क के तालीमी निज़ाम को ज़ाफ़रानी तालीम से मरबूत किया जा रहा है और तालीमी निसाब में मन घड़त मवाद शामिल करने की साज़िश की जा रही है जिस के नतीजे में मुल्क के हालात गंभीर होरहे हैं।