मुशर्रफ को इलेक्शन लड़ने के लिए ज़िंदगी भर की पाबंदी

इस्लामाबाद, 30 अप्रैल: (एजेंसी) पाकिस्तान के साबिक फौजी हुक्मरान परवेज मुशर्रफ का सियासत में वापसी के मंसूबों पर पानी फेरते हुए पेशावर हाईकोर्ट ने आज (मंगल) आइन (Constitution) को दो बार मंसूख करने और साल 2007 में इमरजेंसी के दौरान जजों को हिरासत में लिए जाने के लिए उन पर ज़िंदगी भर के लिए इलेक्शन लड़ने पर पाबंदी लगा दिया।

चीफ जस्टिस दोस्त मुहम्मद खान की सदारत वाली पेशावर हाईकोर्ट के चार जजों की बेंच ने यह पाबंदी लगायी और मुशर्रफ की 11 मई को होने वाले आम चुनाव के लिए नामज़दगी ( Nominations) को नामंजूर किए जाने को चुनौती देने वाली अपील को खारिज कर दिया।

बेंच ने कहा कि ज़िंदगी भर की पाबंदी इसलिए लगायी गयी है क्योंकि मुशर्रफ ने दो बार आइन को मंसूख किया और साल 2007 में इमरजेंसी के दौरान जजों को हिरासत में लिया।

बेंच ने कहा कि मुशर्रफ को कौमी, सूबायी (Provincial) और सीनेट के इलेक्शन लड़ने से कुलअदम (restricted) किया जाता है। मुशर्रफ के वकील साद शिबली ने हाईकोर्ट में दलील दी कि वह इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।

इससे पहले इलेक्श्न आफीसरों ने मुशर्रफ के इक्तेदार (सत्ता) में किए गए कार्यवाहियों की वजह से इस्लामाबाद, पंजाब, सिंध और खबर-पख्तूनख्वा में चार पारलीमानी सीटों से उनके नामजदगी को खारिज कर दिया था।

मुशर्रफ के वकीलों ने खबर पख्तूनख्वा सूबे के चित्राल इलाके में एक पारलीमानी सीट से नामजदगी खारिज किए जाने के खिलाफ पेशावर हाईकोर्ट में अपील की थी।

वाजेह है कि 69 साला साबिक सदर इस वक्त इस्लामाबाद के बाहरी इलाके में वाकेए अपने फार्म हाउस में रखे गए हैं जिसे एक उप जेल ऐलान किया गया है।

मुशर्रफ को साल 2007 में इमरजेंसी के दौरान जजों को बर्खास्त करने और साबिक वज़ीर ए आज़म बेनजीर भुट्टो के कत्ल के मामले में गिरफ्तार किया गया था। उधर, रावलपिंडी में एक इंसेदाद दहशतगर्दी की अदालत ने आज बेनजीर कत्ल के मामले में मुशर्रफ को एक हफ्ते के लिए अदालती हिरासत में भेज दिया।