मुशर्रफ ने गिरफ्तारी वारंट को दी चुनौती

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के साबिक सदर परवेज मुशर्रफ ने लाल मस्जिद के साबिक मौलवी के क़त्ल के मामले में उनके खिलाफ निचली अदालत से जारी गैर-जमानती वारंट को इस्लामाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी है, जिस पर पीर के रोज़ सुनवाई होने के इम्कान है।

अखबार डॉन की वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक, इस्लामाबाद की एडिश्नल जिला और सेशन अदालत के जस्टिस वाजिद अली ने मुशर्रफ के खिलाफ मंगल के रोज़ वारंट जारी किया था।

अदालत ने लाल मस्जिद के साबिक मौलवी अब्दुल राशिद गाजी की हत्या के मामले की सुनवाई के दौरान मुशर्रफ के कई बार अदालत से गैरहाज़िर रहने के बाद उनके खिलाफ वारंट जारी किया।

पुलिस ने साल 2013 में मुशर्रफ के खिलाफ मामला दर्ज किया था। गाजी और उनकी बीवी की मौत लाल मस्जिद में 10 जुलाई, 2007 की फौजी कार्रवाई के दौरान हो गई थी।

इस कार्रवाई में 100 से ज़्यादा लोगों की मौत हुई थी। लाल मस्जिद में की गई कार्रवाई दहशतगर्दों के खिलाफ चलाए गए मुहिम का हिस्सा थी। इस मामले में अपने खिलाफ इस्लामाबाद की एडिश्नल जिला व सेशन अदालत की ओर से जारी गैर-जमानती वारंट को चुनौती देते हुए मुशर्रफ ने कहा है कि इस मामले में पुलिस की जांच में उन्हें बेगुनाह ऐलान किया जा चुका है। मुशर्रफ की ओर से यह दरखास्त वकील मलिक तारिक ने दायर की है।

दरखास्त में गैर-जमानती वारंट जारी करने को खारिज करने की गुजारिश किया गया है। इस्लामाबाद हाई कोर्ट की सिंगल बेंच पीर के रोज़ मुशर्रफ की दरखास्त पर सुनवाई करने वाली है।

मुशर्रफ साल 1999-2008 तक पाकिस्तान के हुक्मरान रहे। उन पर साल 2007 में इमरजेंजेंसी लागू करने को लेकर भी बगावत का इल्ज़ाम है।

वह साल 2006 में बलूच लीडर नवाब अकबर बुग्ती और साल 2007 में साबिका वज़ीर ए आज़म बेनजीर भुट्टो की क़त्ल के सिलसिले में भी मुख्तलिफ इल्ज़ामात का सामना कर रहे हैं।