ग़द्दारी केस के नाम से पाकिस्तान के मशहूर मुक़द्दमे में आज उस वक़्त ग़ैरमामूली सूरत-ए-हाल पैदा होगई जब तीन रुकनी ख़ुसूसी अदालत के सरबराह जस्टिस फ़ैसल अरब ने केस की समाअत करने से इनकार कर दिया। तफ़सिलात के मुताबिक़ समाअत के दौरान मुक़द्दमे के मुल्ज़िम साबिक़ आर्मी चीफ़ परवेज़ मुशर्रफ़ के वुकला की गुफ़्तगु से तनाव का माहौल पैदा हो गया।
इन वुकला के बारे में इस मुक़द्दमे के आग़ाज़ से ही ये उमूमी तास्सुर है कि वो कार्रवाई को आगे बढ़ाने के बजाय उलझाने की कोशिश में रहते हैं। आज भी ये सूरत-ए-हाल जारी थी। इस मौक़े पर ख़ुसूसी अदालत के सरबराह जस्टिस फ़ैसल ने वुकलाए सफ़ाई से दरयाफ़त किया, क्या आप अदालत से मुतमइन हैं? इस पर उन वुकला ने जवाब दिया नहीं, हम मुतमइन नहीं हैं।
जस्टिस फ़ैसल ने जवाब सुनने के बाद कहा, अगर आप मुतमइन नहीं हैं तो फिर हम भी ये मुक़द्दमा आगे नहीं चलाना चाहते हैं। याद रहे कि मुशर्रफ़ के वुकला पहले दिन से इस अदालत की तशकील और जजों के तक़र्रुर के साथ साथ जजों के ग़ैर जांबदार होने पर एतराज़ कररहे थे। अदालत ने इन एतराज़ात को अपने फ़ैसलों में खारिज कर दिया था।
इस के बावजूद वुकलाए सफ़ाई अदालत और जजों के बारे में फ़ैसले को अमलन तस्लीम करने से इनकार कररहे थे जिस का खुला इज़हार आज भी बरसरे अदालत वुकलाए सफ़ाई ने अदालती इस्तिफ़सार पर किया तो जस्टिस फ़ैसल ने मुक़द्दमा आगे बढ़ाने से इनकार करदिया। ग़द्दारी केस की समाअत करनेवाली ख़ुसूसी अदालत में ग़ैरमामूली तनाव की सूरत-ए-हाल उस वक़्त पैदा हुई जब मुशर्रफ़ के नाक़ाबिल ज़मानत वारंट गिरफ़्तारी जारी होने के बाद उन्हें महेज़ तीन दिन बाद अदालत में पेश ना होने की सूरत में गिरफ़्तार कर के हाज़िर करने का हुक्म दिया गया।
अब जस्टिस फ़ैसल के इस माहौल में समाअत आगे ना बढ़ाने से इनकार की वजह से फ़ौरी तौर अदालती बेंच टूट गया है। अब इस बारे में अदालती हुक्म बाज़ाबता तौर पर आज देर गए सुनाए जाएगी । जस्टिस फ़ैसल के समाअत से इनकार पर मुशर्रफ़ के वकील अनवर मंसूर ने कहा कि फ़ाज़िल जज अपनी मर्ज़ी से समाअत से अलग हुए हैं, जबकि एक दीगर वकील अहमद रज़ा क़सूरी का कहना है कि हमारे दलीलों से जजों का ज़मीर जाग गया है।