हैदराबाद १७मई ( सियासत न्यूज़ ) शहर के कसीर आबादी वाले असैंबली हलक़ा मुशीर आबाद में अवाम कई मसाइल से दो-चार हैं । बिलख़सूस भोलक पुर डीवीझ़न के मुहम्मद नगर सल्लम बस्ती में ग़रीब अवाम बुनियादी सहूलतों से महरूम यहां तक कि इस सल्लम बस्ती में सरकारी बैत-उल-खुला का कोई पुर्साने हाल नहीं है । बलदिया हैदराबाद की जानिब से 6 साल क़बल 2 लाख 62 हज़ार रुपय की लागत से तामीर करदा बैत-उल-ख़ला ग़रीब अवाम बिलख़सूस ख़वातीन के इस्तिमाल के काबिल नहीं है ।
बैत-उल-ख़ला में दाख़िल होते ही जहां कचरा कुंडी का सामना करना पड़ता है वही बैत अलख़लाओ को दरवाज़े नहीं है । हर तरफ़ गंदगी फैली हुई है । यही नहीं मुहम्मद नगर सल्लम बस्ती के अवाम पीने के पानी , सफ़ाई और दूसरी सहूलतों से महरूम हैं जब इस सिलसिले में बस्ती के ग़रीब अवाम से बातचीत की गई तो उन्हों ने बताया कि वो बे यार-ओ-मददगार ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं ।
इंतिख़ाबात से क़बल वुज़रा अरकान असैंबली अरकान-ए-पार्लीमैंट कारपोरेटरस के इलावा हर जमात के लीडरान के आगे पीछे घूमते हैं वोट हासिल करने के वादों की बौछार करने वाले सबज़ बाग़ देखा तय हैं इंतिख़ाबात के बाद उन से मिलने उन के मसाइल से वाक़फ़ीयत हासिल करने कोई नहीं आता जब हम अवामी नुमाइंदों के पास पहूंचते हैं तो एक दो मर्तबा हमदर्दी ज़ाहिर की जाती है इस के बाद ओहदेदारों को टेलीफ़ोन पर हिदायतें दी जाती हैं इसके बाद जब कभी भी हमें देखते हैं तो मुंह फेर लिया जाता है या घर-ओ-ऑफ़िस में रहने के बावजूद ना होने का दावा किया जाता है अगर इत्तिफ़ाक़ से मुलाक़ात होजाती है कल ही ओहदेदारों के साथ पहूंचने तमाम मसाइल हल कराने का वाअदा किया जाता है ।
ये तो अवामी नुमाइंदों की बातें हैं बलदिया ओहदेदार सल्लम बस्तीयों में अवामी मसाइल को देखना भी नहीं चाहते हल करने स्कीम ज़ेर इलतिवा होने या बजट ना होने का बहाना करते हैं । ज़िम्मेदारियां से फ़रार हासिल करने में बलदिया-ओ-अवामी नुमाइंदे दोनों ज़िम्मेदार हैं ।