हैदराबाद 30 नवंबर: मुफ़्ती महबूब शरीफ़ निज़ामी ने कहा कि जोड़ा घोड़ा और जहेज़ के मुतालिबात को इस्लाम ने हराम क़रार दिया है, लेकिन अफ़सोस की बात हैके आज जहेज़ और घोड़े जोड़े की रक़म का लेना देना मुस्लिम मुआशरे का हिस्सा बन गया है, जिस के लिए अल्लाह के पास जवाब देना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में लोग हज़रत बी-बी फ़ातिमा ख़ातूने जन्नत रज़ी अल्लाहु तआला अनहा की मिसाल देते हैं, जब कि वहां कोई मुतालिबा नहीं किया गया था, बल्कि हुज़ूर अकरम सल्लललाहु अलैहि वसल्लम ने मामूली सा ज़रूरी सामान दिया था, वो भी इस बिना पर कि हज़रत सय्यदना अली रज़ी अल्लाहु तआला अनहु आपके ही ज़ेर परवरिश थे। हज़रत ज़ैनब, हज़रत उमे कुलसूम और हज़रत रुक़य्या रज़ी अल्लाहु तआला अनहा को कोई जहेज़ नहीं दिया गया।
मौलाना निज़ामी इदारा सियासत और माइनॉरिटी डेवलपमेंट फ़ोरम के ज़ेरे एहतेमाम रॉयल गार्डन्स आसिफ़नगर रोड में मुनाक़िदा 52 वीं दु-बा-दु मुलाक़ात प्रोग्राम में शरीक वालिदैन और सरपरस्तों से ख़िताब कर रहे थे। जलसे की सदारत आमिर अली ख़ां न्यूज़ एडीटर सियासत ने की। मौलाना निज़ामी ने कहा कि इस्लाम ने आसान शादी का हुक्म दिया है और हम शादी को मुश्किल से मुश्किल बनाते जा रहे हैं।
इन्होंने ज़ाहिद अली ख़ां की मिली ख़िदमात को ख़िराज-ए-तहिसीन पेश किया। उन्होंने कहा कि निकाह में लड़का और लड़की के अलावा दो गवाहों की ज़रूरत है और महर मुक़र्रर करना हुक्म है, इस के बाद लड़का सुन्नत की अदायगी के लिए वलीमा करे, जब के अच्छा वलीमा वो है जिसमें गरबा-ए-को भी शामिल किया जाये। अगर इस्तेताअत ना हो तो खजूर की दावत पर भी वलीमा किया जा सकता है।
अफ़सोस कि हम अहकामे इलाही और हुज़ूर सल्लललाहु अलैहि वसल्लम की तालीमात को फ़रामोश करते जा रहे हैं और फिर भी आप सल्लललाहु अलैहि वसल्लम के उम्मती होने का दावा करते हैं। उन्होंने तजवीज़ पेश की के सियासत और एम डी एफ़ की तरफ से शादी से पहले लड़कों और लड़कीयों की कौंसलिंग का एहतेमाम किया जाना चाहीए, ताके शादी के बाद तलाक़ और खुला के बदबख्ताना वाक़ियात से उन्हें बचाया जा सके।
आमिर अली ख़ां ने कहा कि आज शादीयों में ख़र्च करने की मसाबिक़त के बाइस लड़कीयों के वालिदैन को मसाइल और मसाइब से दो-चार होना पड़ रहा है। उन्होंने शादी को सादा बनाने के लिए मुसलमानों में इत्तेफ़ाक़ राये की ज़रूरत पर-ज़ोर दिया।