मुसलमानों का जल्सा सिर्फ़ महमूद अली की ज़िम्मेदारी!

मुल्क के पहले वज़ीरे तालीम और मुजाहिद आज़ादी मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की यौमे पैदाइश को यौमे अक़्लीयती बहबूद और यौमे तालीम के तौर पर मनाया जाता है लेकिन हुकूमतों के लिए ये दिन महज़ सस्ती शोहरत के हुसूल का ज़रीया बन चुका है। महकमा अक़्लीयती बहबूद की जानिब से आज रवींद्र भारती में मुनाक़िदा यौमे अक़्लीयती बहबूद की तक़रीब अक़लीयतों के साथ एक मज़ाक़ के सिवा कुछ नहीं था।

टी आर एस हुकूमत अक़लीयतों की तरक़्क़ी और भलाई के बूलंद बाँग दावे करती है लेकिन अफ़सोस कि चीफ मिनिस्टर के चन्द्र शेखर राव हैदराबाद में मौजूदगी के बावजूद इस तक़रीब में शरीक नहीं हुए। के सी आर ने गुज़िश्ता साल भी असेंबली में मौजूद रहने के बावजूद मुत्तसिल रवींद्र भारती में मुनाक़िदा यौमे अक़्लीयती बहबूद में शिरकत से गुरेज़ किया था।

टी आर उस के वुज़रा और अक़्लीयती क़ाइदीन के सी आर को अक़लीयतों का मसीहा क़रार देते हैं लेकिन उनकी अक़लीयतों से हमदर्दी का अंदाज़ा यौमे अक़्लीयती बहबूद की तक़रीब में अदम शिरकत से हो चुका है। इस बारे में जब बाअज़ आला ओहदेदारों से बात चीत की गई तो उनका कहना था कि चीफ मिनिस्टर की मंज़ूरी के बगैर ही महकमा अक़्लीयती बहबूद ने उनका नाम मेहमाने ख़ुसूसी की हैसियत से कार्ड्स में शाय कर दिया था।

चीफ मिनिस्टर से इस प्रोग्राम में शिरकत के लिए किसी ने ख़ाहिश नहीं की और चीफ मिनिस्टर के सेक्रेट्री को प्रोग्राम की इत्तिला दी गई। तक़रीब की केमपेरिंग से काफ़ी वक़्त ख़राब हुआ। केमपरेर के तवील तबसरे और स्कीमात के बारे में ग़लत मालूमात के सबब ओहदेदारों को बार-बार मुदाख़िलत करनी पड़ी। केमपरेर ने ओवरसीज़ स्कालरशिप और बैंकों से मरबूत सब्सीडी को क़र्ज़ से ताबीर किया।