नई दिल्ली। मौलाना असगर अली इमाम महदी सल्फ़ी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में ‘एकता क़ौम व मिल्लत समय की महत्वपूर्ण ज़रूरत’ के शीर्षक पर उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति के मद्देनजर मुसलमानों को कदम कदम पर सोच समझकर चलना, लिखना और पढ़ना चाहिए। मस्लकी और प्रकरण समस्याओं में उलझा कर आपस में असहमति और अराजकता को हवा नहीं देना चाहिए बल्कि एकता और सह्भाग्यता का प्रदर्शन करते हुए अपनी मानवता दोस्ती और शांति का का सबूत देना चाहिए।
मौलाना अब्दुस्सत्तार सल्फ़ी अमीर जमीयत अहले हदीस दिल्ली ने मीडिया के नाम जारी एक बयान में कहा कि ।इस्लाम धर्म दुनिय और मानवता के लिए रहमत है। क़ुरान और हदीस के अनुसार जीवन जीना ही हमारा एकमात्र उद्देश्य है। कुरान और हदीस का त्याग ही हमारी अराजकता और असहमति की मूल वजह है। आज मुस्लिम समाज के भीतर मतभेद और अराजकता का कारण केवल यह है कि आज हमने कुरान और हदीस से मुंह मोड़ लिया है।
जबकि अल्लाह का वादा है कि जब तक तुम किताब व सुन्नत का पालन करोगे तुम्हें कोई गुमराह नहीं कर सकता है। किताब व सुन्नत का पालन कर के हम एकता और सहमति की रस्सी को मज़बूती से थाम सकते हैं।
न्यूज़ नेटवर्क समूह प्रदेश 18 के अनुसार पिछले 23 अक्तूबर 2016 की रात खजुरी के एक अजीमुश्शान जलसे में मौलाना तक़रीर फ़रमा रहे थे। मौलाना ने जमीयत अहले हदीस दिल्ली का परिचय देते हुए दिल्ली की दीनी, मिल्ली, शिक्षा और कल्याणकारी गतिविधियों का उल्लेख किया।
उनके बाद बैठक को संबोधित करते हुए मौलाना मोहम्मद हारून सनाब्ली ने समाज में उत्पन्न बीमारियों के संबंध में अच्छी संगति और बुरी संगति के शीर्षक पर संबोधित किया जबकि मौलाना मोहम्मद जरजीस सिराजी ने सीरते रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर विस्तृत लगातार दो घंटे भाषण दिया।