हमारा मुल्क हिंदुस्तान अज़ीम है और इस मुल्क को अज़ीम बनाने में यहां की तारीख और तहज़ीब ने बहुत अहम रोल अदा किया है।
इस लिए ज़रूरी हैके हम तारीख का मुताला करें । इन ख़्यालात का इज़हार राज भवन में ऑल इंडिया उर्दू मंच के ज़ेर एहतेमाम मुनाक़िदा उर्दू का फ़रोग़ और लिसानी अकलियत के मीटिंग से ख़िताब करते हुए रियासती गवर्नर हंसराज भ्रदवाज ने किया। उन्होंने कहा कि इस मुल्क की तामीर में हिंदु मुस्लिम दोनों का अहम किरदार रहा है।
मुग़ल बादशाह अकबर ने हिंद की तहज़ीब को जिला बख़शी , अकबर के दरबार में मुसलमानों से ज़्यादा गैर मुस्लिम अहबाब को आला ओहदे अता किए गए थे।
उन्होंने कहा कि मुसलमानों और अकलियतों की तरक़्क़ी के बगैर हमारा मुल्क तरक़्क़ी नहीं करसकता। सेकूलर हुकूमत को चाहीए कि वो इस पर अमल पैरा हो। उर्दू ज़बान की तरक़्क़ी और इस के फ़रोग़ के लिए हमें आगे आने की ज़रूरत है।
रियासती गवर्नर ने कहा कि उर्दू ज़बान के फ़रोग़ में रुकावट डालना दरअसल हुकूमत की तंगनज़री है। बरसर-ए-इक्तदार मुस्लिम वुज़रा से ख़िताब करते हुए उन्होंने कहा कि वो अपनी ज़िम्मे दारीयों को समझें और अपने इलाक़े की बेहतर नुमाइंदगी करें। मुसलमानों के मसाइल और उनके हुक़ूक़ की हुसूलयाबी के लिए जद्द-ओ-जहद करें।
मेहमान ख़ुसूसी रियासती वज़ीर आला सदर उमय्या ने मीटिंग से ख़िताब करते हुए कहा कि उर्दू एक आलमी और ख़ूबसूरत ज़बान है। जंग-ए-आज़ादी में उर्दू ज़बान का अहम रोल रहा है।
इन्क़िलाब ज़िंदाबाद का नारा उर्दू ज़बान से मिला है। सेकूलर ज़म को बनाए रखने में उर्दू ज़बान का अहम रोल रहा है। मेहमान एज़ाज़ी वज़ीर हज औक़ाफ़ क़मर उल-इस्लाम ने इस मौके पर ख़िताब करते हुए कहा कि उर्दू ज़बान की तरक़्क़ी और इस के फ़रोग़ में मुसलमानों के साथ गैर मुस्लिम अहबाब का भी अहम रोल रहा है।
पिछली हुकूमत ने पिछ्ले 4 साल से उर्दू ज़बान को नज़रअंदाज किया है। उन्होंने इल्ज़ाम आइद करते हुए कहा कि राज्य उत्सव एवार्ड के लिए दुसरे ज़बानों की अहमियत दी गई।
मगर उर्दू ज़बान को नज़रअंदाज करदिया गया। इस लिए इस तरफ ख़ुसूसी तवज्जा की ज़रूरत है। उर्दू से जुड़े अफ़राद को राज्य उतसो एवार्ड दिए जाएं।
उन्होंने कहा कि रंगगोड्डा की लिखी हुई किताब टीपू सुलतान की हयात-ओ-ख़िदमात का तर्जुमा कनड़ा से उर्दू में अनक़रीब किया जाएगा।
सदारती ख़िताब में ऑल इंडिया उर्दू मंच के सरपरस्त खलील मानूँ ने कहा कि उर्दू ज़बान की हिफ़ाज़त की ज़िम्मेदारी ख़ुद उर्दू वालों की है। इस लिए दूसरों से हमें शिकवा शिकायत करने के बजाय ख़ुद हमें उर्दू के फ़रोग़ के लिए काम करने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि शहर में अब तक उर्दू हाल की तामीर नहीं होसकी। जिस से ये अयाँ है कि आज भी उर्दू ज़्यादा तास्सुब का शिकार है।