मुसलमानों के खिलाफ षड़यंत्र! बोहरा मुस्लिम मासूमा रानाल्वी ने पीएम को खत लिखर खतने की प्रथा बैन करने की मांग की

नयी दिल्ली : तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बोहरा मुस्लिम समुदाय की मासूमा रानाल्वी ने पीएम के नाम एक खुला ख़त लिखकर खतने की रिवाज को खत्म करने की मांग की है. उनके अनुसार भारत में बोहरा मुस्लिम महिलाओं में खतना एक ऐसी कुप्रथा है, जिसका उद्देश्य महिलाओं की यौन आजादी पर पाबंदी लगाना है. खतना के नाम पर महिलाओं और बच्चियों के खत्ने से बहुत सी महिलाओं और बच्चियों की मौत हो जाती है. खतना को समाप्त करने को लेकर पीएम मोदी नाम अपने पत्र में लिखा है कि आजादी वाले दिन आपने जब मुस्लिम महिलाओं के दर्द और दुखों का जिक्र लालकिले के प्राचीर से किया था, तो उसे देख सुनकर काफी अच्छा लगा.

हालांकि यह रिवाज भारत के बोहरा समुदाय में कुछ इलाकों में है लेकिन इसका सही आंकड़ा लगाना मुश्किल है. दाऊदी बोहरा मजबूत व्यापारी मुस्लिम समुदाय है. करीब 10 लाख लोग मुंबई और आसपास के इलाकों में रहते हैं और अब यूरोप और अमेरिका तक पहुंच चुके हैं. ये लोग अपने आजाद ख्याल रुख के लिए जाने जाते हैं. लेकिन पुरुष धर्मगुरू गहरा प्रभाव रखते हैं. दक्षिणी मुंबई के मालाबार हिल इलाके में इनका मुख्यालय हैं. यहां भारत के कुछ सबसे अमीर लोग रहते हैं. यहीं सैयदना बैठते हैं, बोहरा धर्मगुरु. जब लड़के-सड़कियां अपने किशोरवय में पहुंचते हैं तो उन्हें शपथ दिलाने सैयदना के पास लाया जाता है. उनकी जिंदगी के हर पहलू में, फिर चाहे वह शादी हो या अंतिम संस्कार, सैयदना की भूमिका अहम होती है.

मुंबई से लेकर न्यू यॉर्क तक, जब डॉक्टर खतने को अंजाम देते हैं तो सैयदना का आशीर्वाद लेते हैं. लेकिन अब दो पुरुषों के बीच यह खतना झगड़े की जड़ बन गया है. और वजह है सैयदना की कुर्सी. दरअसल, पूर्व सैयदना के बेटे और सौतेले भाई के बीच कुर्सी को लेकर खींचतान चल रही है. सौतेले भाई का कहना है कि खतना बंद होना चाहिए जबकि बेटा चाहता है कि यह परंपरा जारी रहे. हालांकि उन्होंने इस बारे में बात करने से इनकार कर दिया लेकिन अपने भाषणों में वह अपनी राय रख चुके हैं. उन्होंने कहा था कि दूसरे लोगों के मुकाबले हमारा समुदाय बहुत पवित्र है और इसकी पवित्रता बनाए रखना हमारा फर्ज है, इसलिए लड़कों का खतना होना चाहिए और लड़कियों का भी.

दुनियाभर में हर साल करीब 20 करोड़ बच्चियों या लड़कियों का खतना होता है. इनमें से आधे से ज्यादा सिर्फ तीन देशों में हैं, मिस्र, इथियोपिया और इंडोनेशिया. अफ्रीकी मुसलमानों में यह प्रचलन आम है पर भारत में यह प्रचलन न के बराबर है फिर भी इस प्रचलन को भारत में खत्म करने की मांग मासूमा रानाल्वी द्वारा किया जा रहा है. उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि हम मुस्लिम औरतों को तब तक पूरी आजादी नहीं मिल सकती, जब तक हमारा बलात्कार होता रहेगा. हमें संस्कृति, परंपरा और धर्म के नाम पर प्रताड़ित किया जाता रहेगा. तीन तलाक एक गुनाह है, लेकिन इस देश की औरतों की सिर्फ यही एक समस्या नहीं है. मैं आपको औरतों के साथ होने वाले खतने के बारे में बताना चाहती हूं, जो छोटी बच्चियों के साथ किया जाता है. बोहरा समुदाय में सालों से ‘ख़तना’ या ‘ख़फ्ज़’ प्रथा का पालन किया जा रहा है.

पीएम को लिखे खत में उन्होंने लिखा है कि मेरे समुदाय में जैसे ही कोई बच्ची 7 साल की हो जाती है, तो उसकी मां या दादी मां उसे एक दाई या लोकल डॉक्टर के पास ले जाती हैं, जहां उसके प्राइवेट पार्ट को काट दिया जाता है, जो कुछ उस 7 साल की बच्ची के साथ होता है, उसके बारे में उन्हें पता ही नहीं होता, लेकिन उसका दंश और दर्द वो ताउम्र झेलती हैं. इस प्रथा का एकमात्र उद्देश्य है, बच्ची या महिला के यौन इच्छाओं को दबाना है. इसके साथ उन्होंने बताया कि उन्हें इस कुप्रथा को रोकने के लिए ‘WESpeakoutonFGM’ नाम से एक कैंपेन की शुरुआत की है, लेकिन इसमें हमें समर्थन नहीं मिल रहा. मैं सरकार से दरख्वास्त करती हूं कि जल्द से जल्द इस कुप्रथा को खत्म करने पर काम शुरू किया जाये. इस प्रथा को बैन करके बोहरा बेटी बचाना बहुत जरूरी है.

बोहरा समुदाय में प्रचलित है प्रथा
भारत में बोहरा मुस्लिम समुदाय के बीच महिलाओं का खतना कराए जाने की परंपरा है। दाउदी बोहरा समुदाय एक छोटा मगर समृद्ध शिया मुस्लिम समुदाय है जो मुख्य तौर पर पश्मिची भारत में रहते हैं। यह समुदाय अपनी उत्पत्ति शिया इस्माइली मिशनरियों के 11वीं सदी में मिश्र से यमन होते होते हुए खंभात बंदरगाह पर आने से जोड़कर देखता है। इनमें से अधिकांश मिशनरी गुजरात के व्यापारी बन गए और इन्हें ही आज बोहरा के तौर पर जाना जाता है।

क्या होती है खतना
मुस्लिम बोहरा समुदाय में छोटी बच्चियों के गुप्तांग (clitoris) की सुन्नत की यह प्रक्रिया औरतों के लिए एक अभिशाप है। इस प्रक्रिया में औरतें छोटी बच्चियों के हाथ-पैर पकड़ते हैं और फ़िर clitoris पर मुल्तानी लगाकर वह हिस्सा काट दिया जाता है। औरतों की ख़तना का यह रिवाज अफ्रीकी देशों के कबायली समुदायों में भी प्रचलित है लेकिन अब भारत में भी ये शुरू हो गया है। अफ्रीका में यह मिस्र, केन्या, यूगांडा जैसे देशों में सदियों से चली आ रही है। ऐसा कहा जाता है कि ख़तना से औरतों की मासित धर्म और प्रसव पीड़ा को कम करती है। ख़तना के बाद बच्चियां दर्द से कईं महीनों तक जूझती रहती हैं और कई की तो संक्रमण फ़ैलने के कारण मौत भी हो जाती है।