हुकूमत की नज़रों में नज़रें डाल कर गुफ़्तगु करने वालों के तीव्र जब बदल जाते हैं तो मैदानों में लड़ी जाने वाली जंगों की एवानों में शिकस्त होजाती है। मुस्लिम नौजवान जोकि बेक़सूर साबित होने के क़रीब होते हैं तो उन का एनकाउंटर कर दिया जाना बज़ाहिर चंद नौजवानों को हलाक करना होता है लेकिन इस के ज़रीये महलोकीन उमत को एक पैग़ाम देते हैं के उन्होंने उम्मत को बेदार करने के लिए नज़राना-ए-जान पेश किया है और उनकी क़ुर्बानीयों को रायगां करने के बजाये उमत को ख़ाब-ए-ग़फ़लत से बेदार करते हुए आने वाले ख़तरात से वाक़िफ़ करवाया जाये लेकिन उमत की बेदारी की ज़िम्मेदारी जिन कंधों पर आइद होती है इन में जब ये एहसास पैदा होजाए कि उमत के नौजवानों की याददाश्त बहुत कमज़ोर है तो ये ख़ून तो रायगां जाएगा ही लेकिन आने वाले ख़तरात में भी इज़ाफ़ा ही होता जाएगा।
शहर के अतराफ़ में या शहर से ताल्लुक़ रखने वाले नौजवानों की एनकाउंटर में अम्वात का सिलसिला नया नहीं है बल्कि सईदाबाद में उसकी एक तवील तारीख़ है लेकिन इन एनकाउंटरस में किसी एक एनकाउंटर में भी पुलिस ओहदेदार सलाखों के पीछे नहीं गए।
इशरत जहां का गुजरात में क़त्ल होवा क़तील सिद्दीक़ी की जेल में मौत , सुहराबुद्दीन की एनकाउंटर में हलाकत हो या फिर कोसर बी का पुलिस की तरफ से क़त्ल किसी भी मुआमले में किसी भी मुस्लिम क़ाइद ने उन्हें इंसाफ़ दिलाने के लिए अदालत का दरवाज़ा नहीं खटखटाया बल्कि सुहराब एनकाउंटर मुआमले को सुहराब के भाई रबाब ने सुप्रीम कोर्ट ले जाते हुए आला पुलिस ओहदेदारों को जेल पहुंचाए।
इशरत जहां के मुआमले में उनके अफ़रादे ख़ानदान खास्कर वालिदा शमीम बानो और बहन मसर्रत जहां ने अदालतों के चक्कर काटे लेकिन जिन कंधों पर ज़िम्मेदारीयां थीं वो तो सिर्फ़ उन अम्वात का सियासी इस्तिहसाल करते हुए और कलिमा के रिश्ते की दहाई देते रह गए। ख़ैर ये मुआमलात तो गुजरात के हैं लेकिन रियासत आंध्र प्रदेश में जहां दावओं के मुताबिक़ ताक़तवर क़ियादत मौजूद है मगर हर एनकाउंटर के बाद सिर्फ़ ज़ाबता की कार्रवाई हुई और फिर चुनाव में इन अम्वात का तज़किरा करते हुए दहाई दुई गई। जो लोग ज़ाबता की कार्रवाई कररहे हैं क्या वो बता सकते हैं के उनकी नुमाइंदगियों पर कितने ओहदेदारों को जेल पहुंचा दिया।इसी तरह मज़लूम शमीम बानो और मसर्रत जहां भी कोई रुकनीयत नहीं रखते थे लेकिन उन्होंने भी आई पी एस ओहदेदारों की वर्दी उतरवाई। रियासत चुनाव प्रदेश में हुए पुलिस मज़ालिम के ख़िलाफ़ एनकाउंटरस के ख़िलाफ़-ए-ज़ाबिता की कार्रवाई करते हुए तहरीक चलाने वाले मुशतर्का मजलिस-ए-अमल का 14 अप्रैल को खिलवत में जलसा मुनाक़िद होरहा है लेकिन इस जलसे में रिवायात से इन्हिराफ़ किए जाने का इमकान है और कहा जा रहा हैके क़ाइदीन हुकूमत केख़िलाफ़ नरम धमकी आमेज़ रवैया इख़तियार करेंगे और मिल्लत-ए-इस्लामीया को हुकूमत-ओ-पुलिस से ख़ौफ़ज़दा करते हुए मुआमले को रफ़ा दफ़ा करने की कोशिश की जाएगी।