मुसलमानों को दीन से दूर करने की मुनज़्ज़म साज़िश

आरमोर,29 जनवरी: आरमोर के शहर प्रकट में सिटी गार्डन शादी ख़ाने में मजलिस तहफ़्फ़ुज़ ख़त्म नबुव्वत शाख़ आरमोर के ज़ेरे एहतिमाम जलसा बउनवान सीरत ख़ातिमुलअम्बिया और रद्द इसाइयत‌ मुनाक़िद हुआ। जिस में मौलाना ख़्वाजा कलीमुद्दीन असअदी नाज़िम मदरसा फ़ैज़ उल-उलूम करीमनगर ने मेहमान ख़ुसूसी की हैसियत से मुख़ातब करते हुए कहा कि अल्लाह तआला क़ुरआन मजीद में फ़रमाया कि सरकारे दो आलम आख़री नबी हैं। मौलाना ने कहा कि ग़ुलाम अहमद कादियानी जिस ने नबुव्वत का दावा किया वो काफ़िर है कज़्ज़ाब है।

आज कादियानी-ओ-ईसाई भोले भाले गरीब मुसलमानों को जो देहातों में आबाद हैं। उन्हें लालच दे कर दीन से दूर करने की मुनज़्ज़म साज़िशें रचारहे हैं। मुस्लिम ख़वातीन उन के शिकंजों में आकर चर्च वगैरह में नज़र आरही है। लेकिन क़ुर्बान जाइये मेरे सरकारे दो आलम पर जिन्हें कुफ़्फ़ार मुशरिकीन ने उन को सरदारी देने और माल का अंबार उन के क़दमों में डालने का लालच देकर उन्हें दीन से फिर जाने के लिए कहा तो आप ने फ़रमाया ए क़ुरैश के सरदारो आप मेरे एक हाथ में चांद दूसरे हाथ में सूरज लाकर रख दें तो भी में अपने दीन से मुनहरिफ़ होने वाला नहीं।

सहाबा ने दीन की ख़ातिर अपनी जानों को निछावर किया। शहीद होना पसंद किया फ़ाक़ा करना पसंद किया लेकिन अपने दीन से हटना दीन पर आंच आना पसंद नहीं किया। सहाबियात भी इस्लाम क़ुबूल करने के बाद मुश्किलात से दो-चार हुईं। लेकिन दीन पर जमे रहे। जबकि आज हम थोड़े से रूपयों पर ईमान को फ़रोख़त करदेने तयार हैं। आख़िर हमारा ईमान कहाँ गया। हम आज प्यारे नबी के तरीक़े छोड़ते हुए फ़हश में मुबतला हैं। टी वी के नाच गानों में मसरूफ़ हैं।

हम ग़ैरों के तरीके अपनाए हुए हैं। आज हम सब की ज़िम्मेदारी है कि कादियानी‍ और‌ इसाइयत‌ के फ़ितनों को रोकें। मौलाना मुहम्मद अबदुलमुग़नी मज़ाहरी नायब सदर मजलिस तहफ़्फ़ुज़ ख़त्म नबुव्वत आंध्रा प्रदेश की दुआ पर इस प्रोग्राम का इख़तेताम अमल में आया। निज़ामत के फ़राइज़ मौलाना रिज़वान ने अंजाम दिए।