अहमदाबाद: हमारे देश भारत में यह पहली बार नहीं है कि लोगों को बेवजह जेलों में बंद किया गया हो। असल में ऐसा तो तब से होता आ रहा है जब से इस देश में अपना संविधान और कानून भी नहीं था।Facebook पे हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करिये संविधान और कानून लागू होने के बाद जहाँ देश के नागरिक इस बात की उम्मीद करते हैं कि उन पर हो रहे जुर्म अब काम हो जायेंगे या खत्म हो जायेंगे वहीँ मेरे महान भारत में इस से उल्ट होने लगा। देश में लोगों का मजहबी ठप्पा उनके लिए एक बद्दुआ की शक्ल में उभरा और बेक़सूर लोगों को जेलों में डाला जाने लगा, आतंकवादी कहा जाने लगा।
अब तक तो आप समझ ही चुके होंगे की यहाँ बात किस मजहब की हो रही है। जी हाँ, यहाँ बात हो रही है देश की नींव रखने में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने वाले मुस्लिम समुदाय की। मुसलमान जिन्होंने हमेशा से इस देश को अपना माना है के साथ हुकूमत ने हर बार नाइंसाफी की है। इस बात का खुलासा जहाँ देश के मौजूदा हालातों को देखकर लगाया जा सकता है वहीँ हाल ही में आई एक रिपोर्ट भी इसी बात की और इशार करती है।
रिपोर्ट के मुताबिक देश के प्रधानमंत्री मोदी जिस गुजरात मॉडल की डींगें हांक कर आज कुर्सी सम्भाले बैठे हैं। उस गुजरात में बेवजह मुसलमानों को जेलों में बंद किये जाने का आंकड़ा देश के बाकी सब राज्यों से ऊपर है।
आंकड़ों की बात करें तो गृह मंत्रालय की हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि देश में कुल 658 मुसलमानों को पुलिस लॉकअप में बिना किसी गुनाह के कैद कर रखा गया है। मुसलमानों को लॉकअप में बंद कर रखने के आंकड़ों की बात करें तो सबसे ज़्यादा मुस्लिम गुजरात में बंद हैं और इनकी गिनती 240 है। इसके बाद नंबर आता है तमिलनाडु का जहाँ यह संख्या 220 है।
देश भर में कैद मुसलमानों की बात करें तो देश में कुल 82190 मुसलमान जेलों और थानों में बंद हैं जिनमें से 21550 के गुनाह साबित हो चुके हैं, 59550 कैदियों की सुनवाई चल रही है और 658 पुलिस लॉकअप्स में बंद हैं।