मग़रिबी बंगाल की असेंबली में आज एक क़ानून मंज़ूर कर लिया गया, जिस के तहत दीगर पसमांदा तबक़ात (ओ बी सी) के लिए सरकारी मुलाज़मतों में दो मुख़्तलिफ़ ( अलग अलग) ज़मरों के तहत 17 फ़ीसद तहफ़्फुज़ात ( आरक्षण) फ़राहम किए गए।
ज़मुरा ए ज़्यादा पसमांदा तबक़ात (ओ बी सी) के लिए दस फ़ीसद तहफ़्फुज़ात( आरक्षण) फ़राहम किए गए हैं, जब कि दूसरे ज़मुरा पसमांदा तबक़ात के लिए सरकारी मुलाज़मतों में सात फ़ीसद तहफ़्फुज़ात फ़राहम किए गए हैं। तहफ़्फुज़ात के ज़मुरा में 65 मुख़्तलिफ़ मुस्लिम तबक़ात (वर्ग) को शामिल किया गया है।
मग़रिबी बंगाल पसमांदा तबक़ात (एस सी और एसटी के सिवाए सरकारी ख़िदमात और ओहदों की जायदादों के लिए तहफ़्फुज़ात) क़ानून 2012 को तारीख़ी ( ऐतिहासिक) क़रार देते हुए चीफ़ मिनिस्टर ममता बनर्जी ने कहा कि इस से सरकारी मुलाज़मतों में अक़ल्लीयतों (अल्पसंख्यको) के लिए मौक़े पैदा होंगे।
अपोज़ीशन बायां बाज़ू महाज़ के अरकान असेंबली ने कम्यूनिस्ट पार्टी आफ़ इंडिया (Legislators from the opposition Left Front, led by Communist Party of India) की ज़ेर क़ियादत क़ानून की मुख़ालिफ़त की। क़ाइद अपोज़ीशन ( विपक्ष के नेता) सूर्य कान्ता मिश्रा ने कहा कि हुकूमत को दीगर पसमांदा तबक़ात (OBC category) के ज़ुमरे में आली तालीमी इदारों (शिक्षा संस्थाओं) में तलबा ( क्षात्रों)के लिए भी तहफ़्फुज़ात ( आरक्षण) फ़राहम करने चाहीए थे।
अपने जवाब में ममता बनर्जी ने वज़ीर-ए-आला तालीम बरतया बासू (Higher Education Minister Bratya Basu) से ख़ाहिश की कि आइन्दा असेंबली इजलास ( सभा) में वो इस बारे में एक मुसव्वदा क़ानून पेश करें। मिश्रा ने ममता बनर्जी की तजवीज़ पर तब्सिरा की ख़ाहिश पर जवाब देते हुए कहा कि वो अक्सर मुसबत जवाब दिया करती हैं और दरख़ास्तें कुबूल किया करती हैं, जो तवील मुद्दती बुनियाद पर मनफ़ी साबित होती हैं।
ताहम कांग्रेस अरकान असेंबली ने ममता बनर्जी से उन की तजवीज़ पर कि आला तालीम तहफ़्फुज़ात क़ानून पेश किया जाएगा, इज़हार-ए-तशक्कुर किया। उन्होंने कहा कि वो ये मसला बायां महाज़ दौर ए इक्तेदार में कई बार उठा चुके हैं, लेकिन इस वक़्त की हुकूमत ने इस पर संजीदगी से ग़ौर नहीं किया।
मिश्रा ने कहा कि बायां बाज़ू हुकूमत इसी किस्म का एक मुसव्वदा क़ानून पेश कर चुकी है, जिस के तहत रंगनाथ मिश्रा कमीशन की सिफ़ारिशात के बाद अक़ल्लीयतों के लिए ओ बी सी ज़मरों के तहत तहफ़्फुज़ात फ़राहम किए गए थे, लेकिन ये मुसव्वदा क़ानून मंज़ूर नहीं होसका। उन्हों ने कहा कि नई हुकूमत ने ये मुसव्वदा क़ानून मंज़ूर करलिया है।
अक़ल्लीयती तबक़ा को मौक़े से गुज़श्ता 13 माह में जब से कि तृणमूल कांग्रेस ज़ेर क़ियादत हुकूमत बरसर-ए-इक्तदार आई है, महरूम नहीं किया गया है।