मुसलमानों को 12 फ़ीसद तहफ़्फुज़ात के लिए तेलंगाना में रोज़नामा सियासत की मुहिम

हैदराबाद 07 सितंबर: इदारा सियासत ने तालीम-ओ-मुलाज़मत में मुसलमानों को 12 फ़ीसद तहफ़्फुज़ात की फ़राहमी में मुसलसिल ताख़ीर पर तशवीश-ओ-ब्रहमी का इज़हार करते हुए इस मसले पर मुसलमानों का शऊर बेदार करते हुए मुंसिफ़ाना-ओ-जमहूरी हक़ के लिए हुकूमत पर दबाओ बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर मुहिम चलाने का फ़ैसला किया है।

जिसके मुताबिक़ इदारा सियासत की क़ियादत में मुस्लिम एम्पावरमेंट मूमेंट के साथ बड़े पैमाने पर तहरीक का आग़ाज़ किया जाएगा। ताके मुसलमानों को क़ानूनी ज़ाबता के मुताबिक़ 12 फ़ीसद तहफ़्फुज़ात फ़राहम करते हुए मुलाज़िमतों की फ़राहमी को यक़ीनी बनाया जा सके।

यहां ये बात काबिल-ए-ज़िक्र हैके अलाहिदा रियासत तेलंगाना के क़ियाम की तहरीक में इदारा सियासत के सरगर्म रोल के सबब तेलंगाना के मुसलमानों का ज़बरदस्त जोश-ओ-ख़ुरोश पैदा हुआ जिसकी बदौलत नई रियासत तेलंगाना का वजूद अमल में आया।

तहरीक के दौरान उस की क़ियादत करने वाले क़ाइदीन ने मुसलमानों को तालीम और रोज़गार में 12 फ़ीसद देने का वाअदा किया था लेकिन अफ़सोसनाक हक़ीक़त ये हैके 15 माह गुज़रने के बावजूद इस पर अमली इक़दामात नहीं हो सके। नई रियासत तेलंगाना की आबादी 3.5 करोड़ है जिसमें 12.43 फ़ीसद मुस्लमान हैं।

तेलंगाना की आबादी में 85 फ़ीसद अवाम का ताल्लुक़ कमज़ोर तबक़ात से है। चीफ़ मिनिस्टर के चन्द्रशेखर राव‌ ने इस तनासुब के एतेबार से मुसलमानों को 12 फ़ीसद तहफ़्फुज़ात फ़राहम करने का वाअदा किया था। उन्होंने इस ज़िमन में टामिलनाडु की तक़लीद करते हुए क़ानूनसाज़ी के ज़रीये अपना वादा पूरा करने का यक़ीन भी दिलाया था।

ताहम हनूज़ एसी कोई क़ानूनसाज़ी नहीं की गई और एसा लगता हैके वादा भी फ़रामोश कर दिया गया है। क़ब्लअज़ीं 2004 में मुसलमानों को 5 फ़ीसद तहफ़्फुज़ात की फ़राहमी के लिए उस वक़्त की राजशेखर रेड्डी हुकूमत की तरफ़ से जारी करदा आलामीया क़ानूनी नक़ाइस के सबब सुप्रीमकोर्ट में इस के ख़िलाफ़ 2007 के दौरान पेश करदा दरख़ास्त की समाअत के दौरान मजहूल और बे-असर साबित हो गया जिसके बाद 5 फ़ीसद के बजाये 4 फ़ीसद तहफ़्फुज़ात दिए गए जिस पर अमल जारी है।

क्युंकि दस्तूर के मुताबिक़ 12 फ़ीसद तहफ़्फुज़ात की फ़राहमी के लिए पसमांदा तबक़ात कमीशन की सिफ़ारिश ज़रूरी थी लेकिन हुकूमत इस शर्त को पूरा नहीं की करसकी थी। हुकूमत तेलंगाना ने /3 मार्च 2015 सुधीर कमीशन तशकील देते हुए अंदरून छः माह रिपोर्ट दाख़िल करने की हिदायत की थी।

ताहम अफ़सोसनाक तौर पर ये कमेटी ताहाल अपनी रिपोर्ट पेश नहीं करसकी है। बरआँ मुसलमानों को 12 फ़ीसद तहफ़्फुज़ात की फ़राहमी के लिए इस कमीशन की रिपोर्ट की कोई क़ानूनी या दस्तूरी एहमीयत इस लिए भी नहीं हैके अदालतें इस ज़िमन में मुक़र्ररा रवायात के मुताबिक़ सिर्फ पसमांदा तबक़ात कमीशन की सिफ़ारिशात को ही क़बूल किया करती हैं।

चुनांचे हुकूमत पर दबाओ में इज़ाफे के लिए मुस्लिम तन्ज़ीमों से ख़ाहिश की गई है कि वो अपनी तन्ज़ीमों के लेटरहेड पर मुताल्लिक़ा ज़िला कलेक्टरस , सुपरिन्टेन्डेन्टस पुलिस , आर डी ओ , एम आर ओ के अलावा अवामी मुंख़बा नुमाइंदों , अरकाने पार्लियामेंट-ओ-असेंबली को नुमाइंदगीयाँ पेश करते हुए मुसलमानों को 12 फ़ीसद तहफ़्फुज़ात की फ़राहमी के लिए फ़ील-फ़ौर बी सी कमीशन के क़ियाम का मुतालिबा करें और अपनी पेश करदा नुमाइंदगियों की नक़ूल इदारा सियासत को रवाना करें ताके उनकी तशहीर करते हुए रोज़गार के लिए मुसलमानों को उनका जायज़ दस्तूरी हक़ दिलाया जा सके।