अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने सफाई दी है कि अमेरिका में कुछ देशों के लोगों के प्रवेश पर लगाई गई रोक मुसलमानों पर प्रतिबंध नहीं है. उन्होंने मीडिया पर गलत रिपोर्टिंग का आरोप भी लगाया है.
ट्रंप ने पिछले दिनों एक अध्यादेश पर हस्ताक्षर किए जिसके मुताबिक अमेरिका में सात मुस्लिम बहुल देशों इराक, सीरिया, ईरान, सूडान, सोमालिया, यमन और लीबिया के लोगों के प्रवेश पर 90 दिन का प्रतिबंध लगाया गया है. इस अध्यादेश की चौतरफा आलोचना के बीच ट्रंप ने बयान जारी कर कहा है, “स्पष्ट तौर पर समझा जाना चाहिए कि यह मुसलमानों पर प्रतिबंध नहीं है, जैसा कि मीडिया खबरें चला रहा है.
ट्रंप ने कहा, “अमेरिका गर्व के साथ प्रवासियों का देश है और आगे भी वह दमन से जान बचाकर भाग रहे लोगों के प्रति दया दिखाता रहेगा. लेकिन हमें अपने लोगों और सीमाओं की रक्षा करनी है.” ट्रंप ने कहा कि उनके अध्यादेश का धर्म से कोई लेना देना नहीं है. उनके मुताबिक, “यह धर्म से जुड़ा नहीं है, बल्कि इसका संबंध आतंकवाद और अपने देश को सुरक्षित रखने से है.
इस बीच, विश्व नेताओं से बात करने के सिलसिले में ट्रंप ने रविवार को जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल और जापानी प्रधानमंत्री शिजो आबे से टेलीफोन पर बात की. चांसलर मैर्केल के प्रवक्ता स्टेफान जाइबर्ट के अनुसार जर्मन चांसलर ने अमेरिकी राष्ट्रपति के फैसले पर अफसोस जताया और साथ ही ये भी कहा कि चांसलर ने राष्ट्रपति को अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी संधि के कर्तव्यों के बारे में बताया. उन्होंने एक बयान में कहा, “चांसलर शरणार्थियों और कुछ देशों के नागरिकों के प्रवेश पर अमेरिकी सरकार के प्रतिबंध पर अफसोस जताती हैं.
दूसरी तरफ, 57 मुसलमान देशों की संस्था ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन ने ट्रंप के कदम की आलोचना करते हुए कहा है कि इससे चरमपंथियों को ही मजबूती मिलेगी. अध्यादेश में शरणार्थियों के प्रवेश पर भी 120 दिन की रोक लगाई गई है जबकि सीरिया से आने वाले शरणार्थियों को अनिश्चित समय के लिए रोक दिया गया है. ओआईसी का कहना है कि सीरिया में लड़ाई से जान बचाकर भाग रहे लोगों पर इस अध्यादेश का बहुत बुरा असर होगा.