मुसलमान अपने घरों पर तिरंगा लहराएँ: देवबन्द

फ़ैज़ाबाद: नामवर दीनी मदर्रिसा दार-उल-उलूम देवबन्द ने एक फ़तवे में कहा कि मुसलमान अपने घरों और दूकानों पर क़ौमी पर्चम यौम-ए-आज़ादी के मौक़े पर लहराएँ और ये भी अपील की कि इस तक़रीब को हुब्ब-उल-व्तनी अज़ीम जज़बा के साथ मनाएं। दीनी मदरसे के तर्जुमान अशर्फ़ उसमानी ने कहा कि आज़ादी हिंद की जद्द-ओ-जहद में उल्मा, जिनका ताल्लुक़ दार-उल-उलूम से था, नुमायां किरदार अदा कर चुके हैं।

मुकम्मल आज़ादी की अपील दार-उल-उलूम की जानिब से की गई थी, जो बाद में पौर्ण स्वराज की तहरीक में तबदील हो गई। हुसैन अहमद मदनी से मौलवी अहमदुल्लाह शाह तक मुजाहिदीन आज़ादी का एक तवील सिलसिला है, जिन्होंने मादर-ए-वतन की आज़ादी के लिए अपनी जानें दी।

इन्होंने कहा कि दार-उल-उलूम ने मुल्क गीर सतह पर मुसलमानों से उनके घरों और दूकानों पर यौम-ए-आज़ादी के मौक़े पर क़ौमी पर्चम लहराने और इस दिन को हुब्ब-उल-व्तनी के अज़ीम जज़बा के साथ मनाने की अपील की है। इस अपील पर रद्द-ए-अमल ज़ाहिर करते हुए दीनी मदरसा के मज़हबी रहनुमा मौलाना अरशद क़ासिमी ने कहा कि हमने मुल्क गीर सतह पर तमाम दीनी मदरसों को मश्वरा दिया है कि तिरंगा लहराएँ और यौम-ए-आज़ादी मनाएं।

तलबा को हिन्दुस्तान की जद्द-ओ-जहद आज़ादी का दरस दें और मुल्क के बुनियादी जज़बा कसरत में वहदत की तालीम दें। इन्होंने कहा कि ये फ़िर्क़ा हमेशा फ़िर्क़ापरस्त ताक़तों का निशाना बना रहा है। हमेशा हमारी हुब्ब-उल-व्तनी पर शक किया जाता रहा, लेकिन हमारे मदरसों में ये बात वाज़िह की जाती रही है कि हम हमेशा मादर-ए-वतन से मुहब्बत और हुब्ब-उल-व्तनी की तालीम देते हैं।

हम यौम-ए-आज़ादी और यौम जम्हूरीया माज़ी में भी मनाते रहे हैं और हम हुब्ब-उल-व्तनी के अज़ीम जज़बा के साथ ऐसा करना जारी रखेंगे। अयोध्या में दीनी मदरसा चलाने वाले हाफ़िज़ अख़लाक़ अहमद लतीफी ने ये बयान दिया।