मुसलमान आर्टिकल 341 से महरूम हैं

हिंदुस्तान की आईन में साफ कहा गया है कि मज़हब, ज़ात व रंग की बुनियाद पर किसी के साथ इम्तियाज़ी सुलूक नहीं किया जाएगा। सभी को इक्तेसादी , सामाजी, मजहबी , सियासी और तालीमी तरक्की में बराबर के मौके हैं। आखिर क्यों 1950 के बाद आर्टिकल 341 के फायदे से मुसलमानों व ईसाईयों को महरूम रखा गया? आर्टीकल 341 के तहत मिलने वाले फायदे से सिर्फ मुसलमान व इसाईयों को ही अलग रखा गया है। मुस्लिम तंज़ीमो की मांग है कि इस आर्टिकल का इस्तेमाल सिर्फ मज़हब की बुनियद पर न हो। इसमें मुस्लिमों व ईसाइयों को भी शामिल किया जाए।

जमित उलमा-ए-हिंद के तर्जुमान अब्दुल हमीद नौमानी ने बताया कि सदर जम्हूरिया राजेंद्र प्रसाद के वक्त में हिन्दू दलितों की तरक्की के लिए आर्टीकल 341 जारी किया गया था। इसके तहत सिर्फ हिन्दू एसी-एसटी को ही फायदा मिलता था। लेकिन बाद में इसमें सिख दलितों व बोद्ध दलितों को शामिल कर लिया गया।

पसमांदा (पिछड़ी) जाति के मुसलमानों व ईसाइयों को इससे महरूम रखकर आर्टीकल के तहत मिलने वाली सहूलियात से महरूम रखा गया है। नौमानी ने बताया कि इस मामले पर रंगनाथ कमिशन ने अपनी सिफारिशों में साफ तौर पर कहा था कि आर्टिकल 341 के नाम पर मज़हबी भेदभाव सही नहीं है। इस बाबत सुप्रीम कोर्ट में भी मामला पेंडिंग है।

पसमांदा फ्रंट के मीडिया इंचार्ज फखरुद्दीन अंसारी ने बताया कि हिंदुस्तानी आइन (भारतीय संविधान) में जब मज़हब के नाम पर रिजर्वेशन का कानून नहीं है तो आर्टीकल 341 एस सी रिजर्वेशन मैं 10 अगस्त 1950 में मजहबी पाबन्दी क्यों लगायी गई? जिसके पैरा 3 मैं कहा गया है कि एस सी का रिजर्वेशन सिर्फ हिन्दू पसमांदा (दलितों) को ही मिलेगा।

लेकिन बाद में 1956 में सिख दलितों को और फिर 1990 में बौद्ध दलितों को इसमें शामिल कर लिया गया। जबकि यह पाबंदी आईन की आर्टिकल 14 ,15, 16 व 25 के कतई खिलाफ है। फखरुद्दीन अंसारी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने 341 के मामले पर 21 जनवरी 2011 को म्रकज़ की हुकूमत से पूछा है कि सिख, बोद्ध दलितों कि तरह मुसलमान व ईसाई दलितों को रिजर्वेशन 341 में क्यों शामिल नहीं करना चाहती। जिसका जवाब देने में मरकज़ की हुकूमत टालमटोल कर रही है। उनका कहना कि पसमांदा फ्रंट मरकज़ी हुकूमतो से अपील करती है कि जल्द से जल्द सुप्रीम कोर्ट को इस बाबत जवाब दे।

आर्टिकल 341 : हिन्दू पसमांदा की तरक्की के लिए आर्टिकल 341 सदर जम्हूरिया राजेंद्र प्रसाद के दौर में जारी किया गया था। इस आर्टिकल के तहत सिर्फ हिन्दू एसी-एसटी को आगे बढऩे में फायदा मिलता।