मुसलमान , मस्लकी इख्तेलाफ़ात को ख़त्म करें : इमाम ए काबा

इमाम ए हरम शेख डाक्टर ख़ालिद बिन अली अलग़ामदी ने आज यहां उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में क़ायम मुसलमानों की तकनीकी यूनीवर्सिटी इंटीगरल यूनीवर्सिटी में मेडीकल साईंस रिसर्च शोबा का इफ़्तेताह ( उदघाट्न) करते हुए मुसलमानों पर ज़ोर दिया कि वो दीनी तालीम के साथ दुनयावी तालीम असरी उलूम (विद्याएँ) की भी तालीम हासिल करें ।

इमाम ए काअबा के इंटीटगरल यूनीवर्सिटी पहूंचने पर इन का इस्तेक़बाल (स्वागत) यूनीवर्सिटी के चांस्लर मौलाना सैय्यद अल रहमान आज़मी नदवी ने और यूनीवर्सिटी के वाइस चांस्लर डाक्टर शमीम अख्तर ने किया ।

इस मौक़ा पर दार-उल-उलूम के उस्ताद मौलाना सलमान उल-हुसैनी नदवी ने मेहमान का ख़ैर मुक़द्दम (स्वागत) किया । इस मौक़ा पर इमाम ए हरम ने मुसलमानों में इत्तिहाद-ओ-इत्तिफ़ाक़ (एकता और सहमती), मस्लकी इख्तेलाफ़ात (धार्मिक झगड़े) को ख़त्म करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया ।

उन्होंने अपने ख़ुतबा में सऊदी हुक्मरानों की जानिब से अल्लाह के दीन को फैलाने का जो काम किये जा रहे हैं उन पर बहुत तफ़सील से रोशनी डाली । इस मौक़ा पर इमाम ए हरम ने नमाज़ ज़ुहर इंटीगरल यूनीवर्सिटी में अदा कराई जिसमें हज़ारों अफ़राद ( लोगों) ने शिरकत की ।

इस मौक़ा पर इंटीगरल यूनीवर्सिटी के तलबा ( छात्र) ओ असातिज़ा (शिक्षकगण) बड़ी तादाद में मौजूद थे । इमाम ए हरम कल मग़रिब की नमाज़ मस्जिद टीले वाली में अदा करेंगे । इमाम ए हरम ने बाराबंकी ज़िला के जहांगीराबाद में वाक़्य ( स्थित) सहाफ़ती इंस्टीट्यूट भी गए जहां उन्होंने अस्र की नमाज़ अदा की ।

इमाम ए हरम शरीफ ने कल इस्लामिक सेंटर ईदगाह में नमाज़ मग़रिब और इस के बाद सीरत ए रसूल (स० अ०व०) और अमन आलम के मौज़ू पर अपने तक़रीबा ( लगभग) आधे घंटे के ख़िताब में इतनी मूसिर तक़रीर की कि इन की तक़रीर ख़त्म होने के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के सदर मौलाना सैयद राबा हसनी नदवी ने इन को बा क़ायदा लिपटा लिया और बेहद तारीफ की ।

कल की तक़रीब में इमाम ए हरम शरीफ ने उत्तर प्रदेश के वज़ीर आली अखीलेश यादव का बतौर ख़ास शुक्रिया अदा किया कि उन्होंने उन की मेहमानदारी में कोई कसर नहीं उठा रखी और हर जगह इन को पुलिस-ओ-इंतिज़ामीया का माक़ूल बंद-ओ-बस्त किया ।

इससे क़ब्ल ( पहले) इमाम ईदगाह मौलाना ख़ालिद रशीद फ़रंगी महल ने भी अखीलेश यादव का इस बात के लिए शुक्रिया अदा किया था कि उन्होंने बह हैसियत वज़ीर ए आला के इमाम ए हरम को सरकारी मेहमान का दर्जा दे कर वो तमाम सहूलयात-ओ-मुराआत दी जो किसी दूसरे ममालिक के सरकारी मेहमान को दी जाती हैं लेकिन इमाम ए हरम की कोई सरकारी हैसियत नहीं थी लेकिन इस के बावजूद ये महज़ अखीलेश यादव की मुस्लिम नवाज़ी थी कि उन्होंने इमाम ए हरम को हर तरह की सहूलयात मुराआत दी ।