मुसलमान मायूस होने की बजाये सलाहियतों का लोहा मनवाएं

अपने मक़सद में कामयाबी के लिए पूरे जुस्तजू और सच्ची लगन ज़रूरी है। अगर ना उम्मीदी रही तो कामयाबी में रुकावट बन सकती है । सच्चा जज़बा और हिम्मत से काम लिया जाये तो अल्लाह तआला की मदद यक़ीनन अपने मक़सद में कामयाब करदेती है।

इन ख़्यालात का इज़हार आई ए एस टॉपर मुहम्मद मुशर्रफ़ अली फ़ारूक़ी ने क्या। मुल्क भर में यू पी एससी नताइज का एलान कर दिया गया जिस में हैदराबाद के मुहम्मद मुशर्रफ़ अली फ़ारूक़ी ने रियासत में तीसरा और मुल्क में 100 टॉपर्स में मुक़ाम हासिल कर लिया।

इबतिदाई तालीम हैदराबाद में हासिल करने वाले नौजवान ने इख़तियारी मज़मून इलेक्ट्रीकल इंजीनीयरिंग से कारनामा कर दिखाया। सियासत न्यूज़ से बात करते हुए उन्होंने बताया कि किसी के लिए इस के मक़सद में कामयाबी के लिए कोई चीज़ रोकाट नहीं बन सकती बल्कि सच्चा जज़बा होना चाहीए।

नाउम्मीदी को कुफ्र क़रार दिया गया है और ना उम्मीदी के सबब कामयाबी मुश्किल होजाती है। उन्होंने कहा कि इंसान को सब से पहले अपने अंदर के ख़ौफ़ को निकालना होगा जो नाउम्मीदी का सबब है जो क़ौम को कमज़ोर करता जा रहा है।

उन्होंने इस बात को बेबुनियाद क़रार दिया कि मुसलमानों को नुमाइंदगी का मौक़ा नहीं मिलता और उनके साथ नाइंसाफी होती है। उन्होंने कहा कि बल्कि मुस्लमान अपनी सलाहीयत मनवाने की कोशिश नहीं करते। सिस्टम में एसी कोई चीज़ नहीं है जो क़ाबिलीयत में रुकावट बन सके बल्कि हमें अपनी सलाहीयतों का लोहा मनवाना होगा।

उन्होंने मुस्लिम नौजवानों को मश्वरह दिया कि वो ख़ुद के फ़ायदा की सोच बदलें और क़ौम-ओ-मिल्लत की तामीर में अपना हिस्सा अदा करें। बैरून-ए-मुमालिक में रोज़गार अच्छी तनख़्वाहें सिर्फ़ अपने ख़ानदान और ख़ुद को फ़ायदा पहूँचा सकती हैं लेकिन मुल्क के सरकारी ढांचा में शामिल होकर पूरी क़ौम की तामीर में रोल अदा किया जा सकता है।

मुहम्मद मुशर्रफ़ अली फ़ारूक़ी ने कहा कि मौजूदा दौर में हर सतह पर मुल्क को मुसलमानों के तआवुन की ज़रूरत है और ये काम मुसलमानों को फ़र्ज़ के तौर पर करना चाहीए।

उन्होंने अफ़सोस का इज़हार किया कि के आज मुसलमानों के आली तालीम-ए-याफ़ता नौजवानों से उनके मुस्तक़बिल के बारे में दरयाफ़त किया तो हर कोई बैरून-ए-मुल्क जाना चाहता है यहां मुल्क में मुसाबक़त के लिए तैयार नहीं। शहर मसरूफ़ इलाके हैदरगुड़ा से ताल्लुक़ रखने वाले मुहम्मद मुशर्रफ़ अली फ़ारूक़ी डिप्टी कमिशनर एक्साइज़ हैदराबाद मुहम्मद मुर्तज़ा अली फ़ारूक़ी के फ़र्ज़ंद हैं।

मुशर्रफ़ ने अपनी प्राइमरी तालीम रामकोट के एक ख़ानगी स्कूल से और इंटर नारायणगुड़ा के एक ख़ानगी कॉलेज से किया और इंजीनीयरिंग मुफ़ख़्ख़म जाह इंजीनीयरिंग कॉलेज से मुकम्मिल की जहां वो टॉपर थे जिस के बाद उन्होंने मास्टर्स आई आई टी मदारिस से किया और कंपनी इंटेल में माहाना देढ़ लाख तनख़्वाह पर मुलाज़िम हुए ताहम मुशर्रफ़ इस मुलाज़िमत से मुतमइन नहीं थे फिर उन्होंने आई ए एस की तैयारी शुरू करदी।

उनके इस मक़सद में वालिदा उनके साथ रहें और वालिद और बहनों का भी बड़ा तआवुन रहा। उनकी तीन बहनें हैं। मुशर्रफ़ हर रोज़ 8 ता 10 घंटे तालीम में मसरूफ़ रहते फ़ज्र की नमाज़ के साथ वो अपनी पढ़ाई का आग़ाज़ करदेते नताइज के एलान पर उनके घर में ख़ुशी का माहौल पैदा होगया।

मुबारकबादी देने वालों की भीड़ मकान पर जमा होगई। मुहम्मद मुशर्रफ़ अली फ़ारूक़ी के वालिद का ताल्लुक़ महबूबनगर से है और उन के दादा मारूफ़ वकील मसऊद अली फ़ारूक़ी हैं। उनके नाना करनूल की मारूफ़ सियासी शख़्सियत एसबी नबी साहिब थे। मुहम्मद मुशर्रफ़ अली फ़ारूक़ी का कहना हैके वो तेलंगाना कैडर को एहमीयत देंगे। उनका अज़म हैके वो हर तबक़ा के साथ इंसाफ़ करेंगे और कामयाब आई ए एस ऑफीसर की तरह अपना और हैदराबाद का नाम रोशन करेंगे।