मुसलमान मुत्तहिद रहें दुनयावी मुश्किलात का हल इस्लामी अहकामात पर अमल आवरी में मुज़म्मिर

अकता ए आलम से आए 30 लाख से ज़्यादा मुसलमानों ने आज हज की सआदत ( शुभ काम) हासिल की । मैदान ए अराफ़ात में फ़र्रज़ंदाने तौहीद का रूह परवर इजतिमा देखा गया । मुफ़्ती-ए-आज़म शेख़ अबदुलअ ज़ीज़ अल-शेख़ ने मस्जिद ए निमरा में ख़ुत्बा-ए-हज देते हुए कहा है कि तमाम तारीफ़ें अल्लाह के लिए हैं, ए लोगो अल्लाह से डरते रहो, तक़वा ( परहेजगारी) और हिदायत की राह अपनाओ, ए लोगो, क़ियामत के दिन से डरते रहो, अल्लाह से डरते रहो और हिदायत इख़तियार करते रहो, इस्लाम का पैग़ाम तौहीद (अल्लाह को एक मानना) का पैग़ाम है, मुसलमान का हक़ है कि वो तौहीद पर कारबन्द रहे।

मुफ़्ती-ए-आज़म ने कहा कि ख़ुदकुशी हराम है, ख़ुदकुशी करने वाले की मग़फ़िरत नहीं होगी, मुसलमान अल्लाह के साथ किसी को हरगिज़ शरीक ना ठहराएं, मोमिन की निशानी है कि इसकी ज़ात से किसी मुसलमान को कोई नुक़्सान नहीं पहुंचता, अपने दरमयान इख़तिलाफ़ात (मतभेद) कम करो, अल्लाह की तौहीद अपना कर ही हम इस दुनिया में कामयाबी हासिल कर सकते हैं।

ख़ुतबा हज में उन्हों ने फ़रमाया कि इस्लाम के इलावा कोई और दीन क़बूल नहीं किया जाएगा, दीन वही है जो नबी करीम ( स०अ०व०) ने दिया, इस देन में ना क़बीला है ना ख़ानदान, हमें हर तरह के तशद्दुद को रोकना होगा, हमें अपने अख़लाक़ को संवारने के लिए महमद ( स०अ०व०) की सुन्नतों को अपनाना होगा, उम्मत ए मुस्लिमा में अख़लाक़ी बुराईयां पैदा हो गई हैं, तमाम वसाएल को अगर जमा कर लिया जाय तो मसाएल ( समस्याओं) पर क़ाबू पाया जा सकता है, मआशी और इक़तिसादी ( आर्थिक) मसाइल भी मुसलमान मिल कर ही हल कर सकते हैं, सयासी मुश्किलात का हल भी मुसलमान मिल कर निकाल सकते हैं।

आलम ए इस्लाम को दरपेश मसाइल का ज़िक्र करते हुए मुफ़्ती-ए-आज़म ने कहा कि आज आलम इस्लाम मसाइल और मुश्किलात से घिरा हुआ है, तमाम मसाइल ( समस्‍याओं) से निकलने के लिए ज़रूरी है कि इस्लाम के अहकामात पर अमल किया जाय, हुकमरान शरीयत पर अमल करने के लिए हालात साज़गार बनाईं, मुसलमान अपने तजुर्बात और वसाइल एक दूसरे के साथ बांटे‍,मुसलमान अक़ीदा तौहीद पर चलते हुए अपनी औलाद की परवरिश करें, जादू उम्मत मुस्लिमा का अहम मसला है,

इसने लोगों को गुमराही में मुबतला कर दिया है अल्लाह से डरें और तक़वा इख़तियार करें, इस्लाम सबसे बेहतरीन ज़ाबता अख़लाक़ है, मुसलमानों को चाहिए कि अगर वो तरक़्क़ी करना चाहते हैं तो टेक्नोलोजी की तरफ़ जाएं, मुसलमानों की बक़ा के लिए ऐसा करना बहुत ज़रूरी है, उम्मत ए मुस्लिमा ग़ुर्बत का शिकार है, इस में तरक़्क़ी के लिए बाहमी यकजहती और उखूवत को फ़रोग़ देना होगा, वसाइल को मुसलमानों की तरक़्क़ी और बहबूद पर ख़र्च करना चाहिए, मुसलमानों को पूरे वसाइल (साधन) से इस्तिफ़ादा और उन में इज़ाफ़ा भी करना चाहिए, माले हलाल ज़रीये से कमाया जाय और ऐसे ख़र्च किया जाए जैसे हमें हुक्म दिया गया है।

हुज्जाज इकराम मैदान अराफात से मज़दल्फ़ा पहूंच गए हैं । रात भर इबादत-ओ-ज़िक्र अज़कार के बाद कंकड़ियां चुन कर कल बाद नमाज़-ए-फ़ज्र वादी मीना रवाना होंगे जहां जुमेरात में सब बड़ा जमरा जमरालाक़बा को कंकड़ियां मारी जाएंगी । रुमी जमार का अमल हुज्जाज इकराम के लिए सब से अहम है । भगदड़ से बचने के लिए सऊदी हुकूमत ने इस साल मैदान जुमेरात में हर मुल़्क के लिए हाजियों के लिए अलैहदा जगह मुख़तस की है ।

हाजी साहिबान कंकड़ियां मारने के बाद जानवर की क़ुर्बानी देंगे और हलक़ के बाद एहराम खोल देंगे । तवाफ़ ज़यारत के बाद वापस वादी मीना आयेंगे जहां दो दिन तक रमी जमार का अमल पूरा किया जाएगा ।