मुसलमान 9 से 12 प्रतिशत आरक्षण के हकदार हैं। सुधीर आयोग की सिफारिश

हैदराबाद 26 अक्टूबर: मुसलमानों को आरक्षण देने के मसले पर स्थापित सुधीर आयोग जांच ने तेलंगाना में 80 प्रतिशत मुसलमानों को अत्यंत पसमांदा बताते हुए कम से कम 9 प्रतिशत या अधिकतम 12 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश की है।

आयोग ने आरक्षण की आपूर्ति के लिए कानूनी राय हासिल करते हुए विधानसभा में कानून की सिफारिश की। सुधीर आयोग ने जिस तरह आरक्षण के हक़ में अपनी राय दी है इससे आरक्षण की आपूर्ति तरीका-ए-कार में स्पष्ट रूप से अंतर नज़र आएगा।

किसी भी वर्ग को आरक्षण की आपूर्ति के लिए बीसी आयोग की द्वारा से सिफारिश चाहिए लेकिन सुधीर आयोग जांच ने सरकार को अपनी सिफारिशें हालांकि आरक्षण की आपूर्ति की सलाह दी लेकिन इसके लिए जो विधि प्रस्तुत किया है वह कानूनी और संवैधानिक तरीका-ए-कार से अलग है।

सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी जी सुधीर के नेतृत्व में गठित आयोग ने 18 महीने तक मुसलमानों की शैक्षिक, आर्थिक और सामाजिक पसमांदगी की समीक्षा लेते हुए रिपोर्ट पेश की। आयोग ने सरकारी नौकरियों, शिक्षा और अन्य सभी क्षेत्रों में मुसलमानों की पसमांदगी का न केवल स्वीकार किया बल्कि अपने सर्वेक्षण के हक़ में आंकड़े भी पेश किए। आयोग ने राज्य में जारीया 4 प्रतिशत आरक्षण का भी हवाला दिया और कहा कि यह आरक्षण सरकारी घोषणा के तहत प्रदान किए गए हैं और राज्य में कुल आरक्षण 50 प्रतिशत हैं। आयोग ने अपनी सिफारिशों में आरक्षण के मुद्दे को बीसी आयोग का उल्लेख करने के बारे में कोई सुझाव नहीं होने से अधिक भ्रम पैदा हो चुकी है।

आयोग जांच में हालांकि सच्चर कमेटी और कुंडू आयोग में सेवा करने वाले विशेषज्ञों मौजूद थे इसके बावजूद आयोग ने आरक्षण के मुद्दे को बीसी आयोग का उल्लेख करने का कोई उल्लेख नहीं कया.हूना तो यह चाहिए था कि जांच आयोग सरकार को संवैधानिक और कानूनी प्रक्रियाओं का मार्गदर्शन करता है।

कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मुस्लमानों की आबादी का 80 फ़ीसद हिस्सा मआशी और तालीमी तौर पर पसमांदा है और इस को सुधारने के लिए हुकूमत को चाहीए कि उन्हें 12 प्रतिशत आरक्षण या कम से कम 9 प्रतिशत आरक्षण फ़राहम करे।

अगर सरकार सुधीर आयोग की सिफारिशों का पालन करना चाहे तो उसे सीधे तौर पर क़ानूनसाज़ी करनी होगी या फिर सरकार अपने दम पर आरक्षण के मुद्दे को बीसी आयोग का उल्लेख कर सकती है। बताया जाता है कि सरकार ने मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे को बीसी आयोग का उल्लेख करने के बारे में अभी कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है।

सुधीर आयोग की रिपोर्ट में आरक्षण कानूनी और संवैधानिक तरीका-ए-कार का चर्चा और बीसी आयोग से रुजू करने की सिफारिश न होने से मुसलमानों में बेचैनी पैदा हो सकती है।