मुसावात की बुनियाद पर हिंद-इराक़ दोस्ती का ऐलान

सदर जम्हूरीया हिंद प्रण‌ब मुख‌र्जी से नई दिल्ली में वज़ीर-ए-आज़म इराक़ की मुलाक़ात
हिन्दुस्तान, इराक़ के साथ मुसावात की बुनियाद पर बाहमी ताल्लुक़ात के तेल और पटरो कमीकलस की तलाश के शोबों में मज़ीद इस्तिहकाम का ख़ाहां है। सदर जमहूरीया हिंद प्रण‌ब मुख‌र्जी ने आज कहा कि हिन्दुस्तान इराक़ के साथ अपने ख़ुशगवार और दोस्ताना ताल्लुक़ात पर फ़ख़र करता है। उन्होंने वज़ीर-ए-आज़म इराक़ नूर अलमालिकी से जो हिन्दुस्तान के तीन रोज़ा दौरे पर हैं और सदर जम्हूरीया से मुलाक़ात के लिए राष़्ट्रा पत्ती भवन आए हुए थे, कहा कि इराक़, हिन्दुस्तान को ख़ाम तेल फ़राहम करने वाला दूसरा सब से बड़ा मुल्क बन गया है।

ये शराकतदारी बाहमी मुफ़ादात की और मुसावात की बुनियाद पर है। हिन्दुस्तान चाहता है कि ख़रीदार । फ़रोख़त कनुंदा के ताल्लुक़ात वसीअतर मुसावी शराकतदारी पर मबनी हो ताकि दोनों ममालिक मुशतर्का तौर पर ख़ाम तेल तलाश करसकें, उसकी पैदावार में शिरकत करसकें और मेट्रो कैमीकल-ओ-फ़र्टीलाइज़रस के मुशतर्का कारख़ाने क़ायम करसकें। सदर जम्हुरीया के बयान में जो राष़्ट्रापत्ती भवन से जारी किया गया है, प्रण‌ब मुख‌र्जी ने कहा कि मुफ़ाहमत की मुख़्तलिफ़ याददाश्तों पर वज़ीर-ए-आज़म इराक़ के दौरे के मौक़े पर दस्तख़त से एक इदारा जाती चौखटा क़ायम होगा ताकि दोनों ममालिक के दरमियान तआवुन में इज़ाफ़ा किया जा सके।

सदर जम्हुरीया ने कहा कि हिन्दुस्तान, इराक़ की तरक़्क़ी में शराकतदार की हैसियत से अपना किरदार अदा करने का पाबंद है और जब भी इराक़ तामीर जदीद और तामीर-ए-नौ की कोशिश करेगा, हिन्दुस्तान इस में शामिल रहेगा। हिन्दुस्तानी सनअत कार और हिन्दुस्तानी सनअतें इराक़ से गहिरी दिलचस्पी रखती हैं। वज़ीर-ए-आज़म इराक़ ने कहा कि दोनों ममालिक के दरमियान शराकतदारी बाहमी मुफ़ाद की बुनियाद पर है क्योंकि हिन्दुस्तान को तवानाई की ज़रूरत है और इराक़ को सरमायाकारी की ताकि अपने अवाम को रोज़गार फ़राहम करसके।

वज़ीर-ए-आज़म इराक़ ने गर्मजोश रद्द-ए-अमल ज़ाहिर करते हुए कहा कि हिन्दुस्तान और इराक़ दोस्ताना ममालिक हैं और अपने ताल्लुक़ात के इस्तिहकाम और आला सतही मुआहिदों के ख़ाहिशमंद हैं। वज़ीर-ए-आज़म इराक़ ने कहा कि हिन्दुस्तान और इराक़ एक दूसरे की ज़रूरीयात की तकमील करते हैं। उन्होंने जम्हुरीयत के हिन्दुस्तानी तजुर्बा की सताइश करते हुए कहा कि दुनिया भर में उसे तस्लीम किया जाता है।

इराक़ को हिन्दुस्तान के तजुर्बे से बहुत कुछ सीखना है। सदर जम्हुरीया ने कहा कि दोनों ममालिक के ताल्लुक़ात बाबुल की तहज़ीब के दौरे से क़ायम हैं। जो एक अज़ीम तहज़ीब थी। हिन्दुस्तान से हर साल नजफ़ अशर्फ़ और कर बुलाए मुअल्ला की ज़यारत के लिए कसीर तादाद में ज़ाइरीन इराक़ का सफ़र करते हैं। इराक़ में जम्हुरीयत के फ़रोग़ पर दोनों ममालिक के ताल्लुक़ात के एक नए दौर का आग़ाज़ हो गया है।