मुस्तहक़्क़ीन को वज़ाइफ़ से महरूम होने का ख़दशा

नारायणपेट मुस्तक़र पर फ़ूड सेक्यूरिटी कार्ड और वज़ाइफ़ के लिए दी गई दरख़ास्तों की तन्क़ीह-ओ-तहक़ीक़ का काम इंतिहाई सुस्त रफ़्तारी से जारी है।

इस दौरान इस बात का भी इन्शकाफ़ हुआ है जिस से अवामी ब्रहमी-ओ-नाराज़गी में शिद्दत पैदा होगई हैके 19 अगस्ट को रियासत गीर सतह पर की गई सर्वे में सेंकड़ों ख़ानदानों का ऑनलाईन इंदिराज अमल में ही नहीं लाया गया है और सिर्फ़ इन ख़ानदानों और मकानों के दरख़ास्तों की तन्क़ीह की जा रही है जिन का ऑनलाईन सर्वे में नाकाम शामिल किया गया है जिस के सबब हज़ारों ख़ानदान फ़ूड सेक्यूरिटी कार्ड ही नहीं बल्कि वज़ाइफ़ से भी महरूम होजाने का डर है।

इस सिलसिले में ज़िला कलेक्टर महबूबनगर-ओ-आर डी ओ नारायणपेट से नुमाइंदगी पर तश्फ़ी बख़श जवाब नहीं मिल रहा है। जिन ख़ानदानों का जामि सर्वे में नाम शामिल नहीं हुआ है उन के लिए दुबारा सर्वे या नाम शामिल करने के लिए सिर्फ़ दरख़ास्त दाख़िल करने को कहा जा रहा है।

ताहम हुकूमत की तरफ से कोई वाज़िह अहकामात ताहाल महिकमा रेवेन्यू को हासिल नहीं हुए हैं कि जाम ख़ानदानी सर्वे से महरूम ख़ानदानों को फ़ूड सेक्यूरिटी कार्ड या वज़ाइफ़ इजरा किए जायँगे या नहीं ? क्युंकि सर्वे में नाम शामिल होने की शर्त रखी गई है।

सरफ़राज़ हुसैन अंसारी , सेक्रेटरी ज़िला कांग्रेस कमेटी ने रियासती हुकूमत की तरफ से की जाने वाले सर्वे में ख़ामीयों को फ़ौरी असर के साथ दरुस्त करने का मुतालिबा किया। बसूरत-ए-दीगर हुकूमत की इन स्कीमात से ग़रीब और मुस्तहिक़ अफ़राद महरूम होजाएंगे और हुकूमत की ज़मानत ग़िज़ा स्कीम बेफ़ैज़ और बेसूद साबित होगी।