मुस्लमानों की समाजी मआशी-ओ-तालीमी हालत सुधारने तहफ़्फुज़ात ही वाहिद रास्ता

हैदराबाद 10 अक्टूबर: 12 फ़ीसद मुस्लिम तहफ़्फुज़ात के लिए मुहिम ने रियासत भर के मुस्लमानों में ये एहसास पैदा कर दिया हैके मुस्लमानों की मौजूदा नसल और उनकी आइन्दा नसलों की मआशी तालीमी और समाजी पसमांदगी को दूर करने के लिए तहफ़्फुज़ात की फ़राहमी ही एहमीयत की हामिल है और तहफ़्फुज़ात हासिल करते हुए ही मुस्लमानों की नई नसल तरक़्क़ी की मंज़िलें तए कर सकती है।

रोज़नामा सियासत की तरफ से 12 फ़ीसद मुस्लिम तहफ़्फुज़ात को यक़ीनी बनाने के लिए जो मुहिम शुरू की गई है वो मुसलसिल अवामी मक़बूलियत हासिल करती जा रही है और रियासत के मुस्लमान जोश दर जोश इस मुहिम से जुड़ते हुए हुकूमत से मुख़्तलिफ़ सतह पर मुसलसिल नुमाइंदगीयाँ करते जा रहे हैं।

रियासत के मुस्लमानों का एहसास हैके चीफ़ मिनिस्टर के चन्द्रशेखर राव‌ ने तेलंगाना तहरीक के दौरान और चुनाव मुहिम के दौरान 12 फ़ीसद मुस्लिम तहफ़्फुज़ात फ़राहम करने का जो वादा किया था उन्हें इस वादे को बहरसूरत पूरा करना चाहीए। इस वादे की तकमील की बजाये नित-नए अंदाज़ से टाल मटोल की पालिसी इख़तियार करने को मुस्लमान क़बूल करने को तैयार नहीं हैं।

रियासती हुकूमत ने असेंबली में जो क़रारदाद मंज़ूर करते हुए उसे मर्कज़ी हुकूमत को रवाना करने का फ़ैसला किया है इस पर मुस्लमानों में नाराज़गी पाई जा रही है। मुस्लमानों का ये एहसास हैके हुकूमत को टाल मटोल की पालिसी तर्क करते हुए रास्त मुस्लमानों को तहफ़्फुज़ात फ़राहम करने के लिए अमली इक़दामात करने की ज़रूरत है।