नई दिल्ली, 20 अक्तूबर: (आमिर अली ख़ान) वज़ीर फिनांस परनब मुकर्जी ने मुस्लमानों की मआशी और तालीमी तरक़्क़ी के लिए वज़ीर-ए-आज़म के 15 नकाती प्रोग्राम के तहत मर्कज़ की जानिब से अंजाम दिए जाने वाले प्रोग्रामों को मूसिर बनाने का ऐलान किया ।
उन्हों ने मुस्लमानों की तालीमी तरक़्क़ी के लिए बैंकों की जानिब से क़र्ज़ा जात की फ़राहमी से इनकार किए जाने की शिकायात पर इज़हार-ए-अफ़सोस करते हुए कहा कि मुल़्क की बाअज़ रियास्तों में बैंक्स मुस्लमानों को तालीमी , तिजारती और दीगर उमूर के हामिल कर्ज़ों की इजराई में पिस-ओ-पेश कर रहे हैं।
मर्कज़ी हुकूमत इस तरह की शिकायात का अज़ाला करने के लिए इक़दामात कर रही ही। उन्हों ने इस ख़सूस में मैं मलिक के मग़रिबी ख़ित्ता में मुताल्लिक़ा ओहदेदारों का इजलास तलब कर के सूरत-ए-हाल का जायज़ा लिया है और आइन्दा इजलास में जुनूबी हिंद के ओहदेदारों को तलब किया जाएगा ।
यहां इकनॉमिक एडीटरस कान्फ़्रैंस के मौक़ा पर ख़िताब करते हुए परनब मुकर्जी ने काले धन , मआशी तरक़्क़ी , आलमी कसादबाज़ारी और इफ़रात-ए-ज़र पर तफ़सीली रोशनी डाली। उन्हों ने बैरूनी मुल्कों के बैंकों में जमा काले धन को वापिस लाने केलिए हुकूमत के इक़दामात का तज़किरा किया और कहा कि काले धन को वापिस लाने के लिए इक़दामात किए जा रहे हैं।
हुकूमत ने काले धन में मुलव्वस हिंदूस्तानियों की जानिब से बंक लेन देन की तहक़ीक़ात शुरू की ही। दुनिया भर के मुख़्तलिफ़ हिस्सों से आने वाली इत्तिलाआत के 9900 हिस्सों की बुनियाद पर ये तहक़ीक़ात की जा रही है । कई मुल्कों में हिंदूस्तानी शहरीयों ने बैंकों में अपनी रक़ूमात जमा की हैं। काला धन हिंदूस्तान में सब से बड़ा मसला बना हुआ है ।
हुकूमत को अप्पोज़ीशन और सियोल राईट्स ग्रुप से शदीद तन्क़ीदों का सामना ही। हुकूमत गुज़शता दो साल के अंदर काले धन की लानत से निमटने केलिए सख़्त इक़दामात किए हैं। हिंदूस्तान की मआशी तरक़्क़ी और पैदावार पर उन्हों ने कहा कि आलमी मालीयाती बोहरान के बावजूद हिंदूस्तान की मईशत मुस्तहकम है ।
ताहम अंदरून-ए-मुल्क पैदावार की शरह जहां 2001-08 -ए-में 9.3 फ़ीसद थी, आलमी मालीयाती बोहरान और योरोपी कसादबाज़ारी के बाइस इस में सुस्त रफ़्तारी वक़ूअ हुई जो 6.8 फ़ीसद तक पहूंच गई लेकिन हिंदूस्तान इस बोहरान से बहुत जल्द बच निकलने वाले मुल्कों में सर-ए-फ़हरिस्त था। हमारी शरह पैदावार 2009 -ए-8.5 फ़ीसद थी और अब 2010-11 -ए-में 8.5 फ़ीसद का निशाना मुक़र्रर किया गया है ।
इस से ज़ाहिर होता है कि आलमी कसादबाज़ारी से हिंदूस्तान की मईशत पर भी असरात मुरत्तिब हुए हैं। अप्रैल – जून 2011 -ए-में 7.7 फ़ीसद मआशी पैदावार रिकार्ड की गई। आइन्दा चंद दिनों में मआशी पैदावार 8 फ़ीसद होने की तवक़्क़ो है लेकिन ये शरह हमारे लिए मायूसकुन है लेकिन हम ने आलमी सूरत-ए-हाल की अबतरी के बावजूद अपना मौक़िफ़ कमज़ोर नहीं है ।
सारी दुनिया में कसादबाज़ारी से साल 2011 -ए-के दूसरे हिस्सा में अमरीका की शरह तरक़्क़ी 1.6 फ़ीसद और योरोपी यूनीयन की मईशत 1.7 फ़ीसद दर्ज की गई ।
अगर आप G-20 मुल़्क की पैदावारी की शरह पर नज़र डालें तो एक ही मुलक आस्ट्रेलिया नज़र आएगा जिस ने तेज़ी से शरह तरक़्क़ी हासिल की ही। परनब मुकर्जी ने मज़ीद कहा कि हिंदूस्तान की शरह तरक़्क़ी को बरक़रार रखने केलिए हुकूमत ने मुतअद्दिद इक़दामात किए हैं।
वज़ीर फ़ीनानस परनब मुकर्जी ने मुल्क में मुख़्तलिफ़ अस्क़ामस के ताल्लुक़ से रिपोर्टस के तनाज़ुर में कमपटरोलर ऐंड आडीटर जनरल (सी ए जी) की हिमायत की और कहा कि हुकूमत के आडीटरस ने अपने दायरा कार-ओ-इख़्तयारात से तजावुज़ नहीं किया ।
एडीटरस कान्फ़्रैंस के मौक़ा पर सवाल जवाब के सैशन में उन्हों ने कहा कि मैं ये वाज़िह कर रहा हूँ कि मेरे ख़्याल में कमपटरोल ऐंड आडीटर जनरल ने अपनी हद को पार नहीं किया है क्योंकि सी ए जी की ज़िम्मेदारीयों की निशानदेही की जा चुकी है । अगर इस से कुछ खामियां हैं तो इस को भी दूर करलिया गया है ।
परनब मुकर्जी का ये ब्यान उस तनाज़ुर में ग़ैरमामूली एहमीयत रखता है कि हुकूमत के बाअज़ गोशों की जानिब से तन्क़ीदें की जा रही हालाकि सी ए जी ने अपने इख़्तयारात से तजावुज़ कर लिया है । सी ए जी ने 2G असपकटरम तख़सीस और काम वेल्थ गेम्स पर रिपोर्टस तैय्यार की थी, इस पर सरकारी इदारों की जानिब से शदीद रद्द-ए-अमल ज़ाहिर किया गया था ।
परनब मुकर्जी ने कहा कि अब तक सी ए जी के रोल का जहां तक ताल्लुक़ है ये एक दस्तूरी रोल है जहां तक सी ए जी की कारकर्दगी का ताल्लुक़ है , मेरी राय ये है कि इस का काम सिर्फ मालीयाती बे क़ाईदगियों का पता चलाना है । क़वाइद , क़वानीन और शराइत की बुनियाद पर वो तहक़ीक़ात करती है । अगर 100 में से 98 केसों में हुकूमत ने काम किए हैं, इस को नज़रअंदाज किया जाएगा । सी ए जी सिर्फ उन चीज़ों का नोट नहीं लिया जहां बे क़ाईदगीयाँ होती हैं।