मुस्लमानों के भेस में मासूम औरतों का इस्तिहसाल करने वाले दो बहरूपिये गिरफ़्तार

दीन इस्लाम के पैरोकार आज अपने दीन की बुनियादी तालीम से ही महरूम हैं जिस के नतीजा में हम तबाही-ओ-बर्बादी का शिकार हो रहे हैं । हमारे ही भेस में आकर बहुरूपिये हमें ही धोका दे रहे हैं । हमारी तोहम परस्ती और इमान से दूरी का वो बिना किसी रुकावट-ओ-हिचकिचाहट के फ़ायदा उठा रहे हैं । ग़ैरों के हाथों इस्तिहसाल के शिकार होने का एक एसा ही वाक़िया तालीम इमला पूर कारवाँ के इलाक़ा में पेश आया ।

जहां चंद बाशऊर मुक़ामी ख़वातीन(औरतों) के बाइस मुस्लिम ख़वातीन(औरतों) इन गैर मुस्लिम धोका बाज़ों की हिर्स-ओ-हवस का शिकार होने से बच गएं जो मुस्लमानों का हुल्या इख़तियार करते हुए मासूम-ओ-सादा लौह लोगों को बेवक़ूफ़ बनाने की कोशिश कर रहे थे । उन लोगों ने अपना हुल्या एसा बना रखा था और इस किस्म के लिबास ज़ेब तन किये हुए थे जिस से लगता था कि ये अल्लाह वाले हूँ ।

इन बदबख़्तों ने सरों पर सबज़ शमले भी बांध रखे थे जब कि ज़िंदगी तमाम तहारत-ओ-पाकीज़गी से कोसों दूर रहे इन अफ़राद के पास से क़ुरआन मजीद के छोटी साइज़ के नुस्खे़ , करानी आयात-ओ-सूरतों के औराक़ ,मुख़्तलिफ़ आदाद-ओ-नक़्श-ओ-निगार के तावीज़ों की कसीर मिक़दार ज़बत हुई ।

तालीम इमला पूर कारवाँ की मुक़ामी ख़वातीन(औरतों) ने बताया कि ये गैर मुस्लिम नौजवान जो मुस्लमानों के भेस में इमान पर डाका डालने की कोशिश कररहे थे घरों पर दस्तक दे कर गरीब-ओ-भोली भाली सादा लौह ख़वातीन(औरतों) से कह रहे थे कि इन के पास हर परेशानी हर बीमारी का हल है ।

ये बहरूपिए इंतिहाई चर्ब ज़बान हैं वो ख़वातीन(औरतों) को ये तास्सुर देने की कोशिश कररहे थे कि ग़ुर्बत बीमारी रोज़गार , मियां बीवी के झगड़े , पड़ोसियों की हसद-ओ-जलन , मुहब्बत में नाकामी हर मसला का हल उन के पास है । तावीज़ गंडों के ज़रीया वो हर मसला का हल पेश करते हैं । ये धोका बाज़ इस बात का भी दावा कर रहे थे कि इन लोगों ने बड़ी मेहनत के ज़रीया ये इलम हासिल किया है ।

जादू टोने का असर ख़त्म करना तो उन के बाएं हाथ का खेल है । जब ये तीन गैर मुस्लिम नौजवान कसीर आबादी वाले मुहल्ला के मकानात पर दस्तक देते फिर रहे थे कि चंद बाशऊर ख़वातीन(औरतों) ने इस की इत्तिला मर्द हज़रात को दी और फिर इन बहुरूपियों को पकड़ लिया गया अगरचे ये तीन नौजवान थे लेकिन तीसरा फ़रार होने में कामयाब होगया ।

जैसे ही राक़िम उल-हरूफ़ को इन बहुरूपियों के पकड़े जाने की इत्तिला मिली फ़ौरी मुक़ाम वाक़िया पर पहूंच गया । पूछताछ पर इन गैर मुस्लिम बहुरूपियों ने बताया कि इन के असल नाम दिलीप और सुरेंद्र है लेकिन सिकन्दर और सलीम जैसे फ़र्ज़ी नामों से मुस्लमानों के हिलियों-ओ-लिबास के ज़रीया वो सादा लौह अवाम बिलख़सूस ख़वातीन(औरतों) का इस्तिहसाल कर रहे थे ।

इन दोनों ने बताया कि वो शादीशुदा हैं और कर्नाटक के हनमाबाद और गुलबर्गा से ताल्लुक़ रखते हैं रमज़ान से हैदराबाद में मुक़ीम हैं और गरीब मुस्लिम ख़वातीन(औरतों) और सादा लौह अफ़राद उन से रुजू हो कर तावीज़-ओ-गंडे हासिल करते हैं । इस तरीका से उन्हें अच्छी ख़ासी कमाई हो रही है । साथ ही लोग अक़ीदत का इज़हार भी कर रहे हैं ।

इन बहरूपियों की जाहिलियत का ये हाल है कि इन लोगों के ज़हन में स्कूलों का तसव्वुर ही नहीं है लेकिन अवाम की अंधी तक़लीद तोहम परस्ती और तालीम से दूरी का फ़ायदा उठाना उन लोगों ने बेहतर तौर पर सीखा है । हम ने देखा कि इलाक़ा तालीम इमला पूर कारवाँ में काफ़ी मर्द-ओ-ख़वातीन(औरतों) जमा होगए थे ।

बाअज़ नौजवान दोनों बहरूपियों को ज़द-ओ-कोब (मार पीट)करने पर तुले हुए थे लेकिन उसमान अलहाजरी ने ये कहते हुए अवाम को मार पीट से रोक दिया कि क़ानून अपना काम करेगा । पुलिस को इत्तिला करदी गई है । बाद अज़ां (उसके बाद) दोनों बहुरूपियों को पुलिस के हवाले कर दिया गया ।

इन बहुरूपियों को बेनकाब करने में मुक़ामी ख़वातीन(औरतों) नाज़िमा अहमद और ख़्वाजा बेगम का अहम रोल रहा जब कि इन लोगों का कहना है कि मुस्लमानों के भेस में इस तरह के लोग अपनी गैर ग़लत हरकतों के ज़रीया मुस्लमानों और इस्लाम को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं ।

पुलिस को इस किस्म के बहुरूपियों पर सख़्त नज़र रखते हुए उन के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करनी चाहीए क्यों कि ये लोग अमन-ओ-ज़बत का मसला भी पैदा कर सकते हैं । नाज़िमा अहमद , ख़्वाजा बेगम और दीगरख़वातीन(औरतों) ने ये भी कहा कि इस तरह के धोका बाज़ों की औरतें बुर्क़ा पहन कर ग़लत काम करती होंगी । जिस के नतीजा में बुर्क़ा का नाम बदनाम हो रहा है ।

पुलिस को चाहीए कि इस मुआमला की तह तक पहूंचे । यहां इस बात का तज़किरा ज़रूरी होगा कि ढोंगी बाबा , आमिलों और स्वामियों के चक्क्र में बुनियादी दीनी तालीम से महरूम कई मुस्लिम ख़वातीन(औरतों) को अपनी इमान-ओ-इज़्ज़त की दौलत से हाथ धोना पड़ा ।

माज़ी में ऐसे कई वाक़ियात पेश आचुके हैं । ज़रूरत इस बात की है कि मुस्लमान बुनियादी दीनी तालीम पर तवज्जा दें । तोहम परस्ती से महफ़ूज़ रहें वर्ना बहरूपिए और धोका बाज़ हमारे इमान-ओ-इज़्ज़त पर डाका डालने से गुरेज़ नहीं करेंगे ।।