मस्जिद हज़रत मीर शमस उद्दीन फ़ैज़ी, लाल दरवाज़ा , ग़ैर आबाद सरज़मीन दक्कन में बेशुमार ओलयाए किराम-ओ-बुज़्रगान-ए-दीन – गुज़रे हैं । इसी तरह अगर ग़ौर किया जाय तो जज़ीरा अलारब के इलावा बर्र-ए-सग़ीर में हिंदूस्तान को वो मुक़ाम हासिल है जो इस वजह से मुमताज़-ओ-नुमायां है कि यहां गनजनीह इलम-ए-तसव्वुफ़ के बेशबहा आबगीना चमकते-ओ-दमकते नज़र आते हैं । उन्ही आबगीनों में एक गौहर नायाब हज़रत हाफ़िज़ मीर शमस उद्दीन मुहम्मद फ़ीज़ीऒ की ज़ात मुबारक भी है । जो पुराना शहर के इलाक़ा लाल दरवाज़ा में क़दीम क़ब्रिस्तान में आप का मज़ार मुबारक खुले आसमान के नीचे मौजूद है । इस से मुत्तसिल ये क़दीम मस्जिद भी मौजूद है जो ग़ैर आबाद है । आप को हैरत होगी मस्जिद और दरगाह शरीफ़ जुमला अराज़ी 20 हज़ार 501 गज़ वक़्फ़ है । जब कि तक़रीबन अराज़ी पर ग़ैरों ने नाजायज़ क़बज़ा करते हुए अपने मकानात और ऊंची ऊंची इमारतें तामीर करलिए हैं । कहा जाता है कि हज़रत ममदूह उसी मस्जिद में नमाज़ अदा करने और तशनगाने इलम को सेराब करते थे । वक़्फ़ बोर्ड में दर्ज शूदा तफ़सीलात इस तरह है ।। Hyd/1730, Dargah Faiz Shamshuddin with grave yard mosque out side Lal Darwaza (s)(23), ward-18 (Area in sq.yds.20,501.0), gaz.no.22-A, sl.no.1000, date gza-07-06-1984, page-5.