नुमाइंदा ख़ुसूसी- इस्लाम एक मुकम्मल निज़ाम हयात का नाम है जिस में ज़िंदगी , मौत , और इस के बाद पेश आने वाले तमाम मसाइल का हल मौजूद है । इस्लाम ने ज़िंदगी के हर मसला को अपने अंदाज़ में हल किया है और इस्लाम के किसी मानने वाले को इस की इजाज़त नहीं दी है कि वो इस्लामी तर्ज़ से निकल कर , मसाइल के हल में इस्लाम मुख़ालिफ़ रास्ता इख़तियार करे , लेकिन ज़माना जैसे जैसे तरक़्क़ी करता जा रहा है ,
इमान में कमज़ोरी आती जा रही है जिस की तस्वीर हम ज़ैल (नीचे)की स्तरों में आप को दिखाने जा रहे हैं , कुछ रोज़ क़बल हम ने बेगम बाज़ार में साल 2012 का एक अजीब-ओ-गरीब कैलिंडर दुकानों पर लटका हुआ देखा जो ज़्यादा तर गुजरातियों की दुकानों पर ही देखा गया । शायद आप भी क़ारईन महसूस कररहे होंगे कि इस वक़्त रियासतों राजिस्थान , यू पी , बिहार और बिलख़सूस गुजरात से बहुत बड़ी तादाद में लोग कारोबार के लिये हैदराबाद का रुख कर रहे हैं जिस की शरह रफ़्तार बहुत तेज़ी से बढ़ रही है ।
चुनांचे शहर हैदराबाद में अब नए नए तहवार , जलसे और जलूस जो देखने में आरहे हैं वो उन्ही बैरून रियासत के लोगों की इजाद करदा रसूम हैं ख़ैर बात कैलिंडर की थी तो मालूम रहे कि जैसे ही हमारी नज़र उस कैलिंडर पर पड़ी तो हमारी हैरत की इंतिहा ना रही । सब से पहले हम ने कैलिंडर का पता मालूम कर के वहां से एक कैलिंडर हासिल किया जो हिन्दी ज़बान में है और इस में बहुत सारी तसावीर हैं ।
जिन में से गुजरात के आसाराम बाबू नामी एक स्वामी की भी तस्वीर है । जो गुजरात के ही हैं और जिन्हें बापूजी भी कहा जाता है । उन की पैदाइश 1941 -ए-में हुई । इन का आश्रम अहमदाबाद में है । ख़ुद उन्हों ने अपनी वेबसाइट में लिखा है कि : एक दिन उन्हें इस बात का अंदाज़ा हुआ कि वो कोई बड़ी ताक़त हैं और ये भी कहा जाता है कि हिंदूस्तान में उन के भगत लाखों की तादाद में है । क़ारईन ! जो चीज़ काबिल-ए-अफ़सोस और ताज्जुब है कि वो ये है कि इस कैलिंडर में एक तस्वीर एसी भी है जिस में दिखाया गया है कि इस स्वामी के रूबरू चंद मुस्लिम हज़रात बड़े अदब-ओ-एहतिराम से अपने मसाइल पेश कर रहे हैं ।
क़ारईन ! हमें इस से कोई सरोकार नहीं कि ये स्वामी जी कौन हैं और क्या करते हैं , लेकिन इस पहलू पर गुफ़्तगु ज़रूर होनी चाहीए कि कैलिंडर में ये तस्वीर शाय कर के क्या बताने की कोशिश की गई है । मज़कूरा स्वामी के हवाले से हमारे एक सवाल के जवाब में एक दुकानदार ने बताया कि मैं ख़ुद उन का बहुत अक़ीदतमंद हूँ , इस ने कहा कि मेरी नज़र में ये भगवान हैं जो उन के पास जाता है मायूस नहीं लौटता , इस ने मज़ीद कहा कि आप के मुस्लमान भी बापू के पास आते हैं । जैसा कि आप तस्वीर में देख रहे हैं ।
क़ारईन ये कौन लोग हैं क्यों इस स्वामी के पास गए ये दूसरा मौज़ू है लेकिन हम आप के सामने इस जैसी तकलीफ दह मिसालें और पेश करते हैं ।लिहाज़ा चलए पुराने पुल की तरफ़ जहां मस्जिद मियां मशक के करीब एक हज्जाम ने काफ़ी अर्सा से अपना कारोबार बंद कर दिया है और वो फ़िलहाल फूक मार के ज़रीया ईलाज करने का दावे करता है । दरअसल इस हज्जाम का बाप बोनाल था । हर साल बोनाल का पोतराज बनता है । ये हज्जाम और इस के बेटे झाड़ फूक के ज़रीया अपनी दुकान के फुटपाथ पर ईलाज करते हैं ।
जिस में हर मज़हब के लोग आते हैं और अफ़सोस के हमारे भी कुछ मुस्लमान भाई वहां नज़र आते हैं और इस के ईलाज का तरीका ये है कि वो धागे नीबूं देता है नीज़ जो भी इस के पास अपने मसाइल लेकर आता है इस के चंद बाल ये कह कर काटता है कि में इस पर मख़सूस पूजा के ज़रीया तुम्हारी तमाम परेशानियों को दूर कुर्दोंगा । जिस के वो ग्यारह सौ रुपये वसूल करता है और ताज्जुब है कि ये धोके बाज़ आज तक पुलिस की गिरिफ़त से महफ़ूज़ है और सुनये इमली बन बस डिपो अफ़ज़ल गंज के करीब एक और शख़्स जिस का नाम चन्दू है वो कमसिन बच्चों का पानी नहलाकर ईलाज करता है ।
किसी को सात , किस को ग्यारह किसी को पाँच और किसी को तीन मर्तबा नहलाता है । बहुत से कमज़ोर इमान वाले वालदैन दवाख़ाना से डिस्चार्ज होते ही अपने बच्चे को सीधे इस के पास लाते हैं फिर घर लेकर जाते हैं और वो हर आने वाले को कहता है कि आप ने बिलकुल सहीह क्या , बिलकुल मुनासिब-ए-वक़्त पर मेरे पास बच्चे को लेकर आए हैं उसे नहलाकर उस की तमाम परेशानियों और बला को दूर कुर्दोंगा और ये गर्म पानी से नहलाता है , जिस पर कुछ मंत्र पढ़ता है नहलाने से क़बल माँ को एक पानी देता है जिस में कुछ मसाला होता है और उसे खाने को कहता है , फिर बच्चा को नहलाना शुरू करता है ।
ये एक मर्तबा पानी नहलाने के किसी से 30 और किसी से 50 रुपये वसूल करता है । इस की रोज़ की आमदनी हज़ारों की है । ये सिलसिला भी एक अर्से से जारी है । अफ़सोस कि इस के पास भी 90 फीसद हमारे ही लोग दिखाई देते हैं । तीसरी मिसाल हिमायत सागर के करीब एक ऊंचे मुक़ाम पर एक मंदिर है । होटलों के ब्योपारी हज़रात अक्सर वहां स्वामी के पास अपना होटल चमकाने और दूसरे होटल को नुक़्सान पहुंचाने का अमल करवाते हैं । यहां भी हमारे ही लोगों की तादाद रहती है ।हमारी इस रिपोर्ट का मक़सद ये है कि हमारे इस पाक शहर में एसा क्यों हो रहा है जब कि इस्लाह मुआशरा का काम करने वाले सैंकड़ों अफ़राद , कई जमाअतें और तनज़ीमें काम कर रही हैं ।
इस हफ़्ता की बात है जब सुलतान शाही की मिहतरानी ( नागिन ) भाभी गिरफ़्तार की गई । जो काला जादू के नाम पर मासूम लोगों से ईलाज के बहाने ख़ूब पैसे वसूल करती थी । उस की गिरफ़्तारी के बाद मुक़ामी लोगों ने उसे सख़्त से सख़्त सज़ा देने के लिये जब पुलिस इस्टेशन पर धरना दिया तो एक आला ऑफीसर ने उन लोगों से ये कहा कि क्या ये आप के घर आती थी या आप इस के घर जाते थे ? उन्हों ने कहा कि मैं आप से सवाल करता हूँ कि आप हज़रात इस के पास जाने वालों को क्यों नहीं रोकते ? क़ारईन ! शायद इस ऑफीसर ने बिलकुल सहीह कहा ।
इस लिये हमें पहले अपना मुहासिबा करना चाहीए । मुस्लमानों को बताना चाहीए कि अपने आप को पहचानों , तुम्हारे सीनों में जो इमान है इस की हक़ीक़त और इस की ताक़त को जानो , हमारे प्यारे प्यारे नबी (स) ने हमें हर मसला का हल दिया है । चुनांचे बुज़ुर्गों ने सहीह कहा है कि हर मुस्लमान पर आज़माईश , आफ़ात-ओ-मुसीबतें वक़तिया तौर पर आती हैं , ये अल्लाह पाक की जानिब से इमतिहान की घड़ी होती है । इस में अल्लाह ताला हमें आज़माते हैं कि हम इस मुसीबत को दूर करने की दुआ किस से करते हैं। किस से आफ़ियत मांगते हैं ।
अगर हम उसे हालात में अल्लाह से रुजू हूँ तहज्जुद , , ज़िक्र-ओ-अज़कार और दुआ के ज़रीया अल्लाह से मांगें तो यक़ीनन अल्लाह पाक हमारी मुराद भी पूरी करेगा और हमारे दरजात भी बुलंद होंगे लेकिन ख़ुदा-ना-ख़ासता अगर हम भटक गए और किसी और के दर पर चले गए तो हमारे लिये बहुत नुक़्सान और ख़सारा की बात होगी । अल्लाह हम से नाराज़ होंगे और हमारी दुनिया-ओ-आख़िरत दोनों तबाह होजाएगी ।
जो हज़रात इस्लाहमु आशरा का काम कर रहे हैं उन के लिये एसे वाक़ियात लम्हा फ़िक्र है कि हमें किस अंदाज़ और करने की ज़रूरत है किन तदाबीर को इख़तियार करना चाहीए और हम सब की ज़िम्मेदारी है कि जो लोग उसे मुक़ामात पर जाकर अपने इमान का सौदा कर रहे हैं उन्हें रोके , कोई अगर ये समझे कि मेरे आमाल सहीह हैं , मुझे दूसरे से किया लेना , तो ये बड़ी भूल होगी क्यों कि ये आधा इस्लाम है पूरा इस्लाम ये है कि दूसरों को भी बुराई से रोकें ।।