मुस्लमानों को सेकूलर मुतबादिल की तलाश

शाही इमाम मस्जिद फ़तह पूरी दिल्ली मुफ़्ती मुहम्मद मुकर्रम अहमद ने आज नमाज़ जुमा से क़बल ख़िताब में मुसलमानों से अपील की कि सालाना इम्तिहानात के लिए मुस्लिम तलबा को तैयारी कराए और उनके रोशन मुस्तक़बिल की फ़िक्र करें। साथ ही वोटर लिस्ट में नामों को चैक करके नामों का इंदिराज कराए।

शाही इमाम ने कहा कि आम इंतिख़ाबात 2014 का ऐलान होचुका है और सियासी पार्टियां अपने मंशूर जारी करके दिल लुभाने वाले वादे करके अवाम के सामने आरही हैं हमें किसी धोका में आए बगै़र अपने मुस्तक़बिल के तहफ़्फ़ुज़ के लिए इत्तिहाद के साथ ग़ौर करके इलेक्शन में हिस्सा लेने की ज़रूरत है।

आज कोई बड़ी सियासी पार्टी इस क़ाबिल नज़र नहीं अति कि इस पर हम आँख बंद करके भरोसा करसकें। जिन लोगों को हम ने मुंतख़ब करके पार्लीमेंट में भेजा उन्होंने हमारी और इलाक़ा की सही नुमाइंदगी नहीं की तो दुबारा उन को वोट देना बेकार है। कुछ लोग अपने मुफ़ाद की ख़ातिर इश्तिहारात दे कर सियासी पार्टियों के लिए अपील करते नज़र आते हैं उनसे भी होशयार रहने की ज़रूरत है।

5 साल में मुसलमानों कोवोट बैंक समझ कर इस्तिमाल किया गया। सूरत-ए-हाल ये है कि आज हज़ारों मुस्लिम बेक़सूर जेलों में हैं, यू ए पी ए काला क़ानून बेकसूरों को ज़ुल्म का शिकार बना रहा है। रिज़र्वेशन पर 1950 से पण्डित जवाहर लाल नहरू ने पाबंदी लगवा रखी है। मुस्लिम क़ौम भिकारियों की तरह भटक रही है।

फ़सादात‌ की ना थमने वाली यलग़ार जारी है। फ़िर्क़ा परस्तों पर कोई लगाम नहीं है, फ़लाही स्कीमों का अमली इक़दाम से कोई वास्ता नहीं है ऐसे में सेकूलर कही जाने वाली पार्टी का हम क्या करें, क्या सिर्फ़ टेबलेट तक़सीम करने से किसी क़ौम का भला होसकता है? ये सब बातें हम सब को ग़ौर करके फ़ैसला करना है।

कांग्रेस के दौर-ए-इक्तदार में भी हरियाणा में मसाजिद को शहीद करने का सलिला जारी है जिस पर मर्कज़ और मुस्लिम नुमाइंदे ख़ामूश हैं। आज इत्तिहाद की ज़रूरत है। बहरेहाल जोश और होश दोनों की ज़रूरत है। शाही इमाम मुफ़्ती मुकर्रम अहमद ने कहा कि हमारा मज़हब इबादत के साथ साथ सियासत और समाजी ख़िदमात से नहीं रोकता तो फिर हम पीछे क्यों रहें। लिहाज़ा मुस्लमान इलेक्शन के रोज़ अपने घरों से बाहर आएं और अपनी पसंद के उम्मीदवारों को वोट दें वर्ना बाद में पछताने से कोई फ़ायदा नहीं होगा।