मुस्लमानों से तास्सुब का ख़ातमा ज़रूरी फ़ौज अक़ल्लीयत का एतिमाद बहाल करे

सरहद पार दहश्तगर्द कैंपस सरगर्म , बायां बाज़ू अस्करीयत पसंदी ख़तरनाक, पुलिस कान्फ़्रैंस से वज़ीर-ए-आज़म का ख़िताब
नई दिल्ली।16 सितंबर (पी टी आई) वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह ने आज सकीवरीटी एजैंसीयों से कहा कि वो मुस्लमानों के ख़िलाफ़ बसाऔक़ात तास्सुब पसंदी और ज़्यादतियों को ख़तन करें। इस से पुलिस की नेकनामी पर हर्फ़ आता है। मूसिर पुलिस फ़ोर्स ही कारकरद साबित होगी। मनमोहन सिंह ने पुलिस के आली ओहदेदारों, सरबराहों से कहा कि वो जहां कहीं भी तास्सुब मौजूद है इस को दूर करें और इस तरह के तास्सुब या ज़्यादतियों से रौनुमा होने वाले वाक़ियात का मुकम्मल फ़र्ज़शनासी ग़ैर जांबदारी से तदारुक करें। डी जी पी और आई जी पेज की कान्फ़्रैंस से ख़िताब करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि मुस्लमानों के ख़िलाफ़ तास्सुब और जांबदारी का मसला हालिया क़ौमी यकजहती कौंसल के इजलास में भी ज़ेर-ए-बहिस आया है जहां ये बात शिद्दत से पेश की गई है कि मुल्क में मुस्लमानों और अक़ल्लीयतों के साथ तास्सुब और ज़्यादतियों के ज़रीया मनमानी कार्रवाई करके इस तबक़ा को ख़ौफ़ज़दा करदिया गया है। पुलिस के आली ओहदेदारों की इस कान्फ़्रैंस को अनटलीजनस ब्यूरो ने मुनाक़िद किया था। मनमोहन सिंह ने मज़ीद कहा कि समाज के तमाम तबक़ात में पुलिस पर एतिमाद की बहाली और तआवुन का जज़बा पैदा होना ज़रूरी है।वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह ने आज कहा है कि मुल्क में सलामती सूरत-ए-हाल बदस्तूर ग़ैर यक़ीनी है। इस दौरान ये इत्तिलाआत भी मौसूल होरही हैं कि सरहद पार दहश्तगर्द कैंप दुबारा सरगर्म होरहे हैं। उन्हों ने कहा कि दिल्ली और मुंबई के हालिया दहश्तगर्द वाक़ियात हमें अपनी क़ौमी सलामती को लाहक़ संगीन चैलेंजों की कर्बनाक याद दिलाते हैं। गुज़श्ता साल के दौरान बाएं बाज़ू की इंतिहापसंदी के सबब मुल्क में कई बेक़सूर अफ़राद और मुलाज़मीन पुलिस की क़ीमती जानें ज़ाए हुई हैं। डायरैक्टरस जनरल और इन्सपैक्टरस जनरल की अनटलीजनस ब्यूरो के ज़ेर-ए-एहतिमाम मुनाक़िदा तीन रोज़ा कान्फ़्रैंस से ख़िताब करते हुए वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह ने कहा कि ऐसी भी इत्तिलाआत हैं कि सरहद पार दहश्तगर्द दुबारा सरगर्म होरहे हैं और मुल्क में अस्करीयत पसंदों की ताज़ा कुमक शामिल करने की कोशिश कररहे हैं। जम्मू-ओ-कश्मीर में पुरअमन मौसिम-ए-गर्मा पर इतमीनान का इज़हार करते हुए वज़ीर-ए-आज़म ने कहा कि मसला का बाइज़्ज़त हल तलाश करने के लिए वसीअ तर बुनियादों पर मुशावरत शुरू करने का अमल जारी है। लेकिन इस रियासत में सलामती के महाज़ पर किसी भी किस्म की ग़फ़लत या लापरवाही की कोई जगह नहीं है। उन्हों ने कहा कि तमाम सलामती इदारों की मरबूत और मबसूत कार्रवाई के ज़रीया कश्मीर में अस्करीयत पसंदों के नए जत्थों की दरअंदाज़ी को नाकाम बनादिया गया। जम्मू-ओ-कश्मीर में मसाइल का हल तलाश करने के लिए हम ने वसीअ तर बुनियादों पर मुशावरत के अमल का आग़ाज़ किया है। हमें मुज़ाकरात और जमहूरीयत के अमल को एक मौक़ा देना चाहीए ताकि इस मसला का बाइज़्ज़त हल हो जिस से रियासत के अवाम के तमाम तबक़ात की उमंगों की तकमील होसके। डाक्टर मनमोहन सिंह ने कहा कि मुनज़्ज़म दहश्तगर्दी के ज़रीया हमारा समाजी तानाबाना मुसलसल निशाना बनाया जा रहा है। इस मक़सद के लिए नौजवानों को ग़लत प्रोपगंडे के ज़रीया गुमराह किया जा रहा है। हमें बाएं बाज़ू की अस्करीयत पसंदी और दीगर ऐसे ही परतशद्दुद तहरीकात पर क़ाबू पाना होगा क्यों कि इस वजह से ना सिर्फ समाज में कशीदगी फैल रही है बल्कि समाजी-ओ-मआशी अदम तवाज़ुन पैदा होरहा है। वज़ीर-ए-आज़म ने कहा कि ये पुलिस के लिए एक इंतिहाई दुशवार गुज़ार और चैलेंजों से भरा वक़्त है। पुलिस को चाहीए कि वो जमहूरी ढाँचे की पाबंदी के साथ इंसानी हुक़ूक़ को मल्हूज़ रखते हुए हालात से निमटें। डाक्टर मनमोहन सिंह ने जम्मू-ओ-कश्मीर में मुज़ाहिरों पर कंट्रोल करने से मुताल्लिक़ रियास्ती पुलिस की सलाहीयतों में बेहतरी की सताइश की और कहा कि जमहूरी मुआशरे में जहां अवाम वक़फ़े वक़फ़े से एहतिजाज पर उतर आते हैं, हुजूम पर कंट्रोल करना दुशवार होता है। ताक़त के कम से कम इस्तिमाल के ज़रीया अमन-ओ-क़ानून की बरक़रारी को यक़ीनी बनाया जाना चाहीए