मुस्लमान मुल्क के मौजूदा हालात से फिकरमंड ना हूँ

मुस्लमान मुल्क के मौजूदा हालात से फिकरमंड ना हो ये हालात कोई ग़ैर मुतवक़्क़े नहीं हैं। इन हालात में मुसबित सोच के ज़रीये अपनी इस्लाह करनी होगी और ये हमारे लिए बेहतरीन मौक़ा है।

मौलाना ख़लीउल् रहमन सज्जाद नोमानी नक़्शबंदी ने ईदगाह बलाली मसब टैंक में एक जलसे से ख़िताब के दौरान ये बात कही। उन्होंने बताया कि मुल्क के मौजूदा हालात का तीन तरीक़ों से सामना किया जाता है जिस में ख़ामोशी ग़ुस्सा और हिक्मत के ज़रीये मुल्क के बड़े तबक़ा को अपना हमनवा बनाना शामिल है।

उन्होंने बताया कि आज हम जिस माहौल में ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं इस माहौल में हमें इन हालात को अपने लिए इस्लाह का वक़्त तसव्वुर करना चाहीए।

मौलाना सज्जाद नोमानी ने बताया कि अगर कोई बात हमारी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ कह रहा है तो हमें तकलीफ़ हो रही है लेकिन हम अपने बच्चों से वही सब अमली तौर पर करवाने में आर महसूस नहीं कर रहे हैं। उन्होंने मिसाल देते हुए कहा कि आज कोई सरस्वती वंदना के लज़ूम की बात करता है तो हमें ग़ुस्सा आ रहा है लेकिन मिशनरी स्कूलों में हमारे बच्चे हज़रत इसा अलैहिस्सलामम को नऊज़-बिल-लाह ख़ुदा का बेटा कह रहे हैं और दुआइया कलिमात में ये अलफ़ाज़ अदा कर रहे हैं।

मौलाना ने हैदराबादी शादी की तक़ारीब पर नुक्ता चीनी करते हुए कहा कि पच्चास बरस की मेहनत से कमाई गई दौलत हैदराबादी शादीयों में दस घंटे के अंदर ख़र्च की जा रही है। उन्होंने इसराफ़ से परहेज़ की तलक़ीन कि।

उन्होंने मिल्लत-ए-इस्लामीया से मसलकी बुग़ज़-ओ-इनाद से बाहर आने की अपील करते हुए कहा कि मिल्लत-ए-इस्लामीया को इत्तेहाद पैग़ाम देने की ज़रूरत है और जब तक ग़रूर-ओ-तकब्बुर को हम निकालते हुए इनकेसारी का मुज़ाहरा नहीं करते उस वक़्त तक मसलकी इख़तेलाफ़ात का हल मुम्किन नहीं है।

मौलाना ने अल्लाह से ताल्लुक़ को मज़बूत करने की तलक़ीन करते हुए कहा कि नबी करीम(सल्लललाहु अलैहि वसल्लम) के बताए हुए रास्ते पर चलने की सूरत में ही फ़लाह है।

उन्होंने मुल्क के हुक्मराँ तबक़े को हक़ीक़ी अक़लियत क़रार देते हुए कहा कि हिंदुस्तान में दरहक़ीक़त जो तबक़ा हुकूमत कर रहा है इस तबक़ा ने मुल्क की बड़ी अक्सरीयत के हुक़ूक़ को पामाल कर रखा है और ये सिलसिला सैंकड़ों बरस से जारी है।

हिंदुस्तानी मुस्लिम अगर इस तबक़ा को अपना हनमवा बनाते हैं और उनके मसाइल को हल करने में दिलचस्पी लेते हैं तो मुल्क में मौजूद कई मसाइल अज़ ख़ुद हल होने शुरू होजाएंगे। उन्होंने बताया कि उन्हें मौसूला एक इत्तेला के मुताबिक़ ब्रहमन समाज से ताल्लुक़ रखने वाली हज़ारों लड़कीयां जहेज़ के लानत का शिकार हैं और एक प्रोफेसर के बमूजब अगर मुस्लिम तबक़ा के नौजवान सिर्फ़ बगै़र जहेज़ के शादी का एलान करदें तो ये लड़कीयां इस्लाम की तरफ़ राग़िब होसकती हैं उन्होंने नौजवानों से अपील की के वो एलान करें कि वो इतने बेग़ैरत नहीं हैं जो लड़की के घर वालों से दौलत लेते हुए अपनी शान-ओ-शौकत का इज़हार करेंगे।