श्रीनगर 25 फ़रवरी: साबिक़ मर्कज़ी वज़ीर फ़ारूक़ अबदुल्लाह ने कहा कि हिन्दुस्तान जम्मू-ओ-कश्मीर को फ़ौज के बलबूते पर हिन्दुस्तान में नहीं रख सकेगा क्युं कि मुसलमानों पर इस मुल्क में शुबा किया जा रहा है और अक़लियती तबक़ा को अक्सरीयती तबक़ा के ख़िलाफ़ सफ़ आरा करने की कोशिश की जा रही है जबकि अक्सरीयती फ़िर्क़ा को बेलगाम छोड़ दिया गया है।
वो पार्टी के साबिक़ जनरल सेक्रेटरी शेख़ नज़ीर की पहली बरसी पर नेशनल कांफ्रेंस कारकुनों से ख़िताब कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान में एक तूफ़ान उठ रहा है जिसकी वजह से ख़तरे की घंटी बजना शुरू हो गई है। अगर हम ये बात ना समझें तो हिंदू और मुस्लमान आपस में लड़ते ही रहेंगे।
उन्होंने कहा कि अगर मुल्क में हर मुस्लमान को मुश्तबा समझा जा रहा हो तो वो (मर्कज़) कश्मीर साथ नहीं रख सकता। ये एक सच्चाई है चाहे आप उसे पसंद ना करें या ना करें। फ़ारूक़ अबदुल्लाह ने कहा कि मुस्लमान क़ौम के दुश्मन नहीं हैं लेकिन फिर भी उन्हें शक-ओ-शुबा की नज़र से देखा जाता है। क्या मुस्लमान हिन्दुस्तानी नहीं है। क्या उसने कोई क़ुर्बानी नहीं दी। क्या आप ब्रीगेडीयर उसमान को भूल गए जो 1947 में हिंद। पाक जंग के दौरान मुल्क को बचाने के लिए अपनी जान क़ुर्बान कर चुके हैं। क्या आप इन सिपाहीयों को भूल गए जो मुस्लमान थे और जिन्हों ने अपने मुल्क के लिए जंग की बल्कि आज भी जंग कर रहे हैं।
मुस्लमान हिन्दुस्तान के दुश्मन नहीं हैं। इन अनासिर को क़ाबू में क्या जाना चाहीए जो मुसलमानों पर दुश्मन होने का लेबल लगाते हैं। फ़ारूक़ अबदुल्लाह ने कहा कि हिन्दुस्तान मुसलमानों के दिलों में रहता है। उन्होंने कहा कि ख़ुदा के लिए उस का ये मतलब ना समझें कि ये मुल़्क इस सिम्त में पेशरफ़त करेगा जहां हिंदूओं और मुसलमानों को अलग किया जा सकता हो। उन्होंने कहा कि ये महात्मा गांधी का हिन्दुस्तान नहीं है। शेर कश्मीर जवाहरलाल नेहरू, मौलाना अबुल-कलाम आज़ाद और दुसरें ने इस मुल्क की तामीर की थी। हमारे और आपके ख़ुदा में कोई फ़र्क़ नहीं है।