इजरायली ने मंगलवार को अल-अक़्सा मस्जिद के पूर्वी हिस्से में मौज़ूद यरूशलेम के ऐतिहासिक बाब अल-रहमाअ कब्रिस्तान पर हमला कर ध्वस्त कर दिया। फिलिस्तीनी अधिकारियों के अनुसार सितंबर 2015 में इजराइल ने मुसलमानों के इस ऐतिहासिक कब्रिस्तान का कुछ हिस्सा अपने कब्ज़े में कर लिया था।
यरूशलेम में इस्लामी कब्रिस्तान के संरक्षण समिति के प्रमुख मुस्तफा अबू ज़हरा ने अनादोलु एजेंसी को बताया कि तथाकथित ‘इजरायली प्रकृति प्राधिकरण’ के कुछ लोग इजरायली सेना की एक बड़ी टुकड़ी को लेकर आए और बाब अल-रहमाअ कब्रिस्तान पर धावा बोल दिया। उन्होंने आठ कब्रों को ज़मानदोज़ कर दिया। इजरायल इस कब्रिस्तान को तोड़कर यहूदियों के लिए एक राष्ट्रीय पार्क बनाना चाहता है। मुसलमानों का यह कब्रिस्तान 1400 साल से भी पुराना है। यह पूर्वी यरूशलेम के सबसे महत्वपूर्ण इस्लामी ऐतिहासिक स्थलों में गिना जाता है।

अल-अक्सा मस्जिद के फिलिस्तीनी निदेशक शेख उमर अल किसवानी ने इजरायल के इस हमले की निंदा की है। शेख उमर अल किसवानी ने बताया कि इजराइल इस कब्रिस्तान को ‘इजरायली प्रकृति प्राधिकरण’ के ज़मीन का हिस्सा बताता है, लेकिन वह यह नहीं बताता कि एतिहासिक तौर पर या किस नियम के तहत वो ऐसा करता है। उन्होंने कहा कि यह हिस्सा एक इस्लामी वक्फ़ है और आगे भी रहेगा।

इजराइल 1967 के मध्य पूर्व युद्ध के दौरान पूर्वी यरूशलेम पर कब्जा कर लिया था। उसने औपचारिक तौर से 1980 में पूरे शहर पर कब्जा कर लिया। वह इसे अपनी राजधानी होने का दावा करता है, जिसकी मान्यता अंतरराष्ट्रीय समुदाय कभी नहीं दे सकता है।
अभी हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक शाखा यूनेस्को ने एक प्रस्ताव पारित कर कहा था कि यरूशलम में मौजूद ऐतिहासिक अल-अक्सा मस्जिद पर यहूदियों का दावा ग़लत है। यूनेस्को की कार्यकारी समिति ने प्रस्ताव पास किया था और कहा था कि अरबों के ज़रिए पेश किए गए प्रस्ताव को वो मंजूरी करता है। इस प्रस्ताव में कहा गया था कि अल-अक़्सा मस्जिद पर मुसलमानों का अधिकार है और यहूदियों से उसका कोई ऐतिहासिक संबंध नहीं है।