नई दिल्ली / वजारत दाखला(गृह मंत्रालय) ने राज्यों को मुस्लिम बहुमती इलाकों के पुलिस स्टेशनों में कम से कम मुस्लिम कौम के एक इंस्पेक्टर और एक सब-इंस्पेक्टर को तैनात करने का एलान किया है।
वजारत दाखिला के मोतमद आरके सिंह की तरफ से राज्यों को लिखे गए खत के मुताबिक एसा करना धार्मीक दंगो को रोकने के मकसद से जरूरी नहीं है, बल्कि ये मेनारीटीज में विश्वास पैदा करने में कारगर साबित हो सकता है। मंत्रालय ने ये एलान सच्चर कमेटी की रिपोर्ट को बुनियाद बनाते हुए जारी किया है।
गौरतलब है कि कमेटी की रिपोर्ट में उन थानों में मुस्लिम पुलीस अधीकारीयों की तैनाती की सिफारिश की है, जहां मुसलमानों की आबादी ज्यादा है। मोतमद दाखिला के मुताबिक कई बार एसा देखा गया है कि समाजी भेदभाव खत्म करने के लिए मुस्लिम पुलिस अधीकारीयों को भरती करने से मुस्लिम समाज के कई मस्लें कम हो सकती हैं।
सिंह ने खत में कहा है कि उन्हें राज्यों और केंद्र सरकार के तहत चलने वाले इलाकों से कई सूचनाएं मिलती रही हैं।
लेकिन सभी राज्य इस प्रोग्राम को पूरी तरह लागू नहीं कर पाए हैं। दरअसल गृह मंत्रालय 2008 से ही राज्यों को कमेटी की इस सिफारिश पर अमल करने का एलान दे रहा है।
मार्च 2008 में पहली बार तत्कालीन गृह सचिव मधुकर गुप्ता ने राज्यों को ये पैगाम जारी किया था। अब आरके सिंह ने एक बार फिर राज्यों को इस सिफारिश पर जल्द से जल्द अमल कर एक्शन टेकेन रिपोर्ट (एटीआर) भेजने को कहा है। मंत्रालय ने इस योजना के अमल के फायदे को आंकने के लिए एक खाका भी तैयार किया है। सिंह के मुताबिक राज्यों को हर 6 महीने में इसकी रिपोर्ट तैयार कर केंद्र को भेजना चाहिए।