मुस्लिम आरक्षण के लिए नांदेड़ में विशाल शांति मार्च, 5 लाख लोग हुए शामिल

नांदेड़: रविवार 27 नवम्बर को मुसलमानों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर महाराष्ट्र के नांदेड़ में मुस्लिम आरक्षण संघर्ष कृति समिति ने एक विशाल शांति मार्च का आयोजन किया।

मुस्लिम आरक्षण संघर्ष कृति समिति विभिन्न राजनैतिक, सामाजिक और धार्मिक संगठनों का एक सामूहिक संगठन है जो पिछले काफी समय से मुसलमानों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर काम कर रहा है।

आयोजकों के मुताबिक इस रैली में लगभग 5।5 लाख लोगों ने हिस्सा लिया जिनमें बच्चे, युवा और बूढ़े सभी शामिल थे। अपने तरह की इस पहली रैली में कई मराठा और दलित नेताओं ने भी हिस्सा लिया।

यह रैली सुबह 11:30 पर न्यू मोंढ़ा से शुरू हुयी और आईटीआई चौक, शिवाजी नगर फ्लाईओवर, कलामंदिर, वजीराबाद चौक से होते हुए दोपहर 3:30 पर शिवाजी पुतला पहुँच कर ख़तम हुयी। रैली ने चार घंटे में 4 किमी लम्बा रास्ता तय किया। बाद में संगठन के प्रतिनिधियों ने नांदेड जिला के कलेक्टर सुरेश ककानी को ज्ञापन सौंपा।

रैली का आयोजन बेहद शांतिपूर्ण ढंग से किया गया। इसमें शामिल हुए लोगों ने किसी भी तरह की नारेबाजी नहीं की और न ही किसी विशेष धर्म सम्प्रदाय के झंडे का इस्तेमाल रैली में किया गया।

आयोजकों ने बताया कि महाराष्ट्र में यह पहली बार है जब इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं ने किसी रैली में हिस्सा लिया। इस रैली में विभिन्न पेशेवर लोग जैसे डॉक्टर, इंजिनियर, टीचर, प्रोफेसर, वकील, व्यापारियों और छात्रों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।

रैली की मुख्य मांग मुसलमानों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की मांग थी। इसके साथ अन्य मांगें जैसे पर्सनल लॉ में हस्तक्षेप न करने, गौरक्षा के नाम पर मुसलमानों और दलितों के ऊपर हो रहे हमलों को रोकने, मुसलमानों को आतंक के आरोप में न फ़साने, स्वामीनाथन आयोग को लागू करने और अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण को छेड़े बिना मराठा आरक्षण देना आदि शामिल थी।

हालाँकि इस रैली में किसी नेता या सामाजिक कार्यकर्त्ता ने भाषण नहीं किया लेकिन कई युवा लड़के और लड़कियों ने अपनी बात रखी। कुछ वक्ताओं ने आज़ादी के दौरान मुसलमानों की कुर्बानियों के बारे में भी बात की। एक छात्र ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वर्तमान सरकार मुसलमानों और दलितों के अधिकारों को सुनिश्चित नहीं कर पा रही है।

रैली में शामिल लोग सरकार की तरफ से पर्सनल लॉ बोर्ड और इस्लाम में औरतों के अधिकार पर की जा रही गैर ज़रूरी बयानबाजी से भी काफी नाराज़ नज़र आये।