नुमाइंदा ख़ुसूसी-एक साहिब ख़िदमते अक़दस में हाज़िर हुए और कहा कि ज़माना कुफ्र में मेरी एक लड़की थी वो मेरे पुकारने से बहुत ख़ुश होती थी जब भी बुलाता दौड़ कर आती एक दिन में ने उसे बुलाया वो मेरे पीछे पीछे आई । में उसे साथ लेकर मुहल्ला के कुँवें के पास आया और मैं ने इस का हाथ पकड़ कर उसे कुँवें में फेंक दिया । आख़िरी बात जो मैं ने इस की ज़बान से सुनी वो ये थी : मेरे अब्बू , मेरे अब्बू , ये सुन कर आप पर सकता तारी हो गया ।
इतने रोय कि रेश मुबारक भी आँसू से तर होगई । ( दारमी / 131 ) ये तो 14 सौ साल क़बल की बात थी । लेकिन आज भी दरिंदगी के एसे बल्कि इस से भी भयानक वाक़ियात मुआशरे में रौनुमा होते हैं जिस से इंसानियत लर्ज़ा ख़ेज़ होजाती है । एसे वाक़ियात जिन्हें सुन कर कोई दिल धड़के और कोई आँख अशकबार हुए बगैर ना रह सके । एक एसा ही लर्ज़ा ख़ेज़ दर्द अंगेज़ वाक़िया हुआ । जिसे तमाम तेलगू मीडिया ने आधे आधे घंटा तक ख़ुसूसी रिपोर्ट के तौर पर पेश किया ।
और टी वी चैनलों पर ख़ूब डी बेट ( तबसरे ) भी हुए । वाक़िया कुछ इस तरह है कि शौहर और ससुराली रिश्तेदारों ने एक हामिला औरत के पेट पर लोहे की सलाखों , लाठी और डंडों से ये कहते हुए मार मार कर उसे बेहोश कर दिया कि तेरे पेट में बची है और तु पहले ही दो बच्चियां पैदा कर चुकी है । जब संगीन हालत में उसे दवाख़ाना मुंतक़िल किया गया तो पता चला कि पेट में बच्ची मर चुकी है । दरिंदगी की ये हरकत किसी गैर मज़हब के घर की नहीं बल्कि कलिमा गो और हमारे ही मुस्लिम मुआशरा की है ।
जिस की तफ़सील ये है कि 22 साला मुन्नी बेगम जो हामिला थी जब इस के शौहर और ससुराल वालों को बज़रीया एसकेन मालूम हुआ कि पेट में लड़की है तो उन्हों ने उसे असक़ात-ए-हमल पर मजबूर किया । मगर जब मुणि बेगम इस के लिए राज़ी ना हुई तो इस के साथ ये घिनावनी हरकत की । मुतास्सिरा मुन्नी बेगम का शौहर 26 साला अल्लाह बख़श वेल्डिंग का काम करता है जब कि मुन्नी बेगम के वालिद अबदुर्रहमान पेशा से दर्ज़ी हैं और उन के पास मुन्नी बेगम के इलावा दो और लड़कियां हैं लड़का कोई नहीं है ।
मज़लोमा मुन्नी बेगम को पहले से ही दो लड़कियां हैं । और इस के बाद भी दो मर्तबा इस का असक़ात-ए-हमल कराया जा चुका है । ये पांचवां हमल था । जो ज़ुलम और दुख़तर कुशी की एक भयानक दास्तान बन गया । ये वाक़िया ज़िला गुंटूर , तनाली पोलीस इस्टेशन की हदूद में वाक़्य हुआ । मुनी बेगम उस वक़्त एन आर आई हॉस्पिटल में इंतिहाई संगीन हालत में आई सी ओ में दाख़िल है । जब कि इस के शौहर अल्लाह बख़श और सास सुसर को पोलीस ने गिरफ़्तार कर के जेल भेज दिया है । मालूम रहे कि ये इंतिहाई गरीब लड़की है ।
जैसे ही हमें वाक़िया की इत्तिला मौसूल हुई हम ने वहां से इस की तफ़सीलात जमा की ताकि ख़ुसूसी रिपोर्ट की शक्ल दे कर उम्मत मुस्लिमा के सामने पेश करें कि ये जहालत और दरिंदगी का खेल कब तक खेला जाएगा । जब कि क़ुरआन मजीद ने मुतअद्दिद मवाक़े पर औलाद कुशी और ख़ासकर दुख़तर कुशी की मुज़म्मत की है । अल्लाह ताला ने कम से कम दो जगह भूक और फ़ाक़ाकशी के ख़ौफ़ से इस घनाउने जुर्म के इर्तिकाब से मना किया है ।
क़ुरआन करीम ने इस का अजीब नक़्शा खींचा है कि ख़ुदा का दरबार इंसाफ़ लगा होगा ख़ुदा पूरी शाने क़हारी के साथ जलवा अफ़रोज़ होगा । नाहक़ क़तल करदी जाने वाली फूलों की तरह मासूम बेगुनाह लड़कियां लाई जाएंगी । फिर अल्लाह ताला उन से दरयाफ़त फ़रमाएंगे कि आख़िर ये किस जुर्म में क़तल की गई हैं ? शायद उस वक़्त उन लड़कियों के क़ातिल माँ बाप भी कटहरे में खड़े होंगे वो डाक्टर-ओ-मुआलिज भी जिन का फ़रीज़ा ज़िंदगी की हिफ़ाज़त है ना कि ज़िंदगी का ख़ातमा और शायद वो पूरा समाज भी जो बिलवासता उन बेगुनाहों के क़तल में शरीक है।
ये वाक़िया एक एसे इलाक़ा में हुआ जहां मुस्लमानों की अच्छी ख़ासी तादाद रहती है । नीज़ मुन्नी बेगम का दरिन्दा सिफ़त शौहर मौत-ओ-ज़ीस्त की कश्मकश में मुबतला अपनी बीवी को हॉस्पिटल में ये कह कर छोड़कर भाग गया कि अगर इस वाक़िया की किसी को इत्तिला दी तो तेरे जिस्म पर तेज़ाब डाल दूंगा । इस वाक़िया को लेकर तेलगू मीडिया को मुस्लमानों के ख़िलाफ़ और औरतों के इस्लाम में हुक़ूक़ के ख़िलाफ़ एक मौक़ा मिल गया है वो उसे ख़ूब उछाल रहे हैं और ख़ूब ज़हर उगल रहे हैं ।
लिहाज़ा हम अपने माहौल और अपने इलाक़ा से मुतमइन हो कर ना बैठें , बल्कि अज़ला और देहातों में जाकर दीनी काम करने की बहुत ज़्यादा ज़रूरत है । इस्लाह मुआशरा के तमाम अफ़राद और तनज़ीमों के लिए ये वाक़िया इंतिहाई इबरत ख़ेज़ है कि किसी जंगी पैमाना पर दावत का काम करने की ज़रूरत है ।।