मुस्लिम ख्वातीन को तलाक़ का हक़ हासिल, 300 उल्मा का मुत्तफ़िक़ा फ़ैसला

मुस्लिम ख़ातून अगर अपने शौहर के साथ रिश्ता-ए-इज़दवाज से मुंसलिक रहना नहीं चाहती या इनके दरमयान संगीन इख्तेलाफ़ात पाए जाने की सूरत में मुस्लिम ख्वातीन को मुत्तफ़िक़ा तौर पर अपनी शादीशुदा ज़िंदगी मुनक़ते करने का इख्तेयार हासिल है।

मुस्लिम ख्वातीन तलाक़ या खुला लेने का हक़ रखती हैं। ज़ाइद अज़ 300 उल्मा ने मुत्तफ़िक़ा तौर पर मुस्लिम ख्वातीन को हक़ खुला का इख्तेयार दिया है। ये फ़तवा गुज़श्ता हफ़्ता मुनाक़िदा एक आलमी इस्लामी कान्फ्रेंस में जारी किया गया। मध्य प्रदेश के शहर महवा में इस्लामी फ़िक़्ह एकेडमी (इंडिया) की जानिब से कान्फ्रेंस मुनाक़िद की गई थी।

शक़ाक़ (इख्तेलाफ़ात) या शौहर और बीवी की हैसियत से एक दूसरे के साथ रिश्ता-ए-इज़दवाज से मुंसलिक रहने से अदम इत्तेफ़ाक़ के इस्लामी तसव्वुर के पेशे नज़र उल्मा ए इकराम ने ये फ़तवा दिया कि इस बुनियाद पर शादी को मुनक़ते करने से क़ब्ल दोनों के दरमयान मुसालहत की जाये और सालसी के ज़रीया इनके इख्तेलाफ़ात दूर किए जाएं। फ़तवा में मज़ीद कहा गया कि रिश्तेदारों और सरपरस्तों का ये फ़रीज़ा है कि वो मियां बीवी के दरमयान शक़ाक़ (इख्तेलाफ़ात-ओ-नाराज़गीयाँ) पैदा होने ना दें। बीवी हतमी तौर पर अपने शौहर के साथ ज़िंदगी गुज़ारने का इरादा ना रखती हो तो ऐसी सूरत में वो खुला ले सकती है।