वाशिंगटन: अमेरिका में बसे एक मुस्लिम डॉक्टर दंपति ने इंडियाना राज्य में स्थापित नोटरडेम कैथोलिक विश्वविद्यालय को धार्मिक सद्भाव के लिए डेढ़ करोड़ डॉलर का दान दिया है, जिस से विश्वविद्यालय में उनके नाम से एक चेयर की स्थापना की जाएगी।
‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार नोटरडेम विश्वविद्यालय के राष्ट्रपति जॉन जेंक्ज़ ने अपने एक इंटरव्यू में कहा है कि यह अंसारी परिवार की ओर से बड़ा उपहार है तथा मुस्लिम परिवार से इतनी भारी- भरकम रकम का उपहार हमारे लिए बहुत अहमियत रखता है।
उनका कहना था कि धर्म का हमारी दुनिया में बहुत महत्व है। इसका नकारात्मक प्रभाव भी हो सकता है लेकिन हमें इस बारे में अध्ययन करना चाहिए कि वह कौन से तरीके हैं कि धर्म मानव विकास और शांति को बढ़ावा देने का एक स्रोत बन सके।
रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान से संबंध रखने वाले डॉक्टर राफ़त और ज़ोरीन अंसारी करीब चार दशक पहले अमेरिका में आकर बस गए थे। कल्याण और धर्मार्थ गतिविधियों में अपनी गहरी रुचि के कारण उन्हें साउथ बैंड के क्षेत्र में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।
अखबार ने लिखा है कि अपनी सबसे छोटी बेटी सोनिया की मानसिक विकलांगता के बाद उन्होंने मानसिक विकलांग बच्चों की देखभाल और इलाज से संबंधित बचाव पर भरपूर ध्यान देना शुरू कर दिया, और उन गतिविधियों पर अब तक वह दस लाख डॉलर से अधिक पैसे और अपने हजारों घंटे खर्च कर चुके हैं।
ज़ोरीन अंसारी ने अपने इंटरव्यू में बताया कि हम यहाँ प्रवासी के रूप में आए थे। इस देश ने हमें बहुत कुछ दिया है। हम अमरीका को कुछ लौटाना चाहते हैं। हमने सोचा कि हमें समानता और सम्मान के बढ़ावे के लिए काम करना चाहिए।
पिछले दिनों साउथ बैंड में स्थापित एक कैथोलिक विश्वविद्यालय नोटरडेम में धर्मों की बेहतर समझ के अध्ययन और शोध के लिए उन्होंने डेढ़ करोड़ डॉलर दान की घोषणा की।
विश्वविद्यालय इस फंड से राफ़त एंड ज़ोरीन अंसारी इंस्टीट्यूट ऑफ़ ग्लोबल इंगेजमेंट विद रिलेजन स्थापित करेगी। यह संस्थान धर्मों के बारे में अपने शोध और जानकारी को बढ़ावा देने के लिए काम करेंगे और इस पर गौर करेंगे कि विश्वास के व्यावहारिक पहलू कैसे वैश्विक घटनाओं को प्रभावित करते हैं।
राफ़त अपने इंटरव्यू में न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया कि हम कई वर्षों से इस पहलू पर सोच रहे थे कि ज्यादातर समस्यायें धर्मों के बीच गलतफहमी की वजह से पैदा होते हैं। यह धार्मिक सद्भाव को दान देने का सबसे उपयुक्त समय था क्योंकि इस समय दुनिया में बहुत कुछ हो रहा है।