मुस्लिम दुनया का अमन

आलम इस्लाम में अमन-ओ-सुकून के लिए अहम मुस्लिम ममालिक के सरबराहों की कोंन्फ़्रैंस तलब करने सऊदी अरब के फ़रमांरवा ख़ादिम हरमीन शरीफ़ैन शाह अबदुल्लाह बिन अबदुलअज़ीज़ की अपील के दूसरे दिन ही इराक़ और शाम में खूंरेज़ हमले और सैंकड़ों मुस्लिम जानों की शहादत से वाज़िह होता है कि बाअज़ ताकतें मुस्लिम दुनया की सालामीयत को अपने नापाक इरादों से तबाह करना यह ख़तरनाक बनाना चाहती हैं।

शाम में बढ़ते तशद्दुद के दौरान इराक़ में माह-ए-मुक़द्दस रमज़ान उल-मुबारक के दौरान खूंरेज़ हमले अफ़सोसनाक हैं। आलमी इंसानी तहज़ीब के लिए ये वाक़ियात सानिहा से कम नहीं, मगर इंसानों की इस दुनया में हैवानों और दरिंदों को हासिल खुली छूट ने बड़ी ताक़तों का काम आसान बना दिया है।

इराक़ में तबाही लाने वाली ताक़त उस वक़्त सारी दुनया को अपनी मुट्ठी में करने की नाकामी का सोग मनाते हुए कमज़ोर इंसानों को तंग कररही है। तीवनस, मिस्र और लीबिया के बाद शाम में क़ियादत की तबदीली की लेहर का फ़ायदा उठाने वाली आलमी ताकतें आलम इस्लाम के बंदगान-ए-ख़ुदा को ज़च करना चाहती हैं। जंग ज़दा इराक़ के सैन्य पर ख़ंजर घोंप कर उस को पै दर पै ज़ख़मी करने वालों ने गुज़िश्ता रोज़ अचानक बम धमाके और बंदूकों से हमले करके 111 अफ़राद को हलाक कर दिया, 270 ज़ख़मी हुए।

इराक़ में तशद्दुद की ये ताज़ा लहर पड़ोसी मुल्कों के लिए भी तशवीशनाक है। शाम में होने वाले हमलों में तशद्दुद के उरूज पर पहुंचने के बाद इराक़ को ख़ून से लत पत् करने वालों के इरादे यकसाँ हैं। यानी मुस्लिम दुनया को कमज़ोर और ख़ाइफ़ बनाया जाय। सऊदी अरब के शाह अबदुल्लाह बिन अबदुलअज़ीज़ ने मुस्लिम दुनया की दिन बह दिन अबतर होती हालत, बाग़ियाना सरगर्मियों और इस की आड़ में अपने मुफ़ादात-ओ-मक़ासिद को बरुए कार लाने वाली ताक़तों से चौकसी इख़तियार करने पर ग़ौर करने के लिए ही आइन्दा माह चोटी कोंन्फ़्रैंस तलब की है।

शाह अबदुल्लाह को आलम इस्लाम में एक सरबलंद मुक़ाम हासिल है। उन्हों ने मुस्लिम दुनया के दर्द को और इस की कसक को महसूस करते हुए आने वाले दिनों में इमकानी तबाही को रोकने के लिए एहतियाती इक़दामात पर ग़ौर करने को वक़्त का तक़ाज़ा क़रार दिया है, तो इस पर तमाम मुस्लिम दुनया के सरबराहों को मुत्तहिद होना चाहीए।

शाम की बशार अलासद हुकूमत अपनी अना की ख़ातिर इक़तिदार से सुबकदोशी के लिए तय्यार नहीं है। बशार अल असद ने ये वाज़िह कर दिया है कि इन के मुल़्क की अबतर सूरत-ए-हाल के लिए बैरूनी ताकतें ज़िम्मेदार हैं। उन्हों ने अब किसी बैरूनी जारहीयत की सूरत में कीमीयाई असलाह इस्तेमाल करने की धमकी दी है।

शाम से इज़‌राईल शदीद ख़तरा महसूस करता है और इज़राईल उस वक़्त सारी दुनया में खु़फ़ीया ताक़तवर मुल्क है जो अमरीका से लेकर दीगर मग़रिबी दुनया के सरबराहों को अपनी मुट्ठी में करलिया है यह अपनी उंगलियों पर उन्हें नचा रहा है। शाम में अगर हालात मज़ीद अबतर हूँ और बशार अलासद की धमकियां सिर्फ़ धमकियां साबित हूँ तो इस के जवाब में शाम के अवाम को भी सद्दाम हुसैन की धमकियों के बाद इराक़ियों के साथ किए गए हश्र से गुज़रना पड़ेगा।

बशार अल असद ने कीमीयाई हमलों की ये धमकी किस लिहाज़ से दी और उन के पास फ़ौजी और असलाह की ताक़त का किस हद तक ज़ख़ीरा है, ये वही बेहतर जानते हैं, लेकिन ये सारी दुनया इराक़ के माज़ूल सदर सद्दाम हुसैन की इस तरह की धमकियों और इस के बाद के अंजाम को देख चुकी है, मगर मुस्लिम सरबराहान-ए-ममलकत को ये बात समझ में नहीं आई है।

आलम इस्लाम के ख़िलाफ़ नापाक साज़िश को अपनी तेज़ फ़हमी से ख़तम‌ करने की फ़िक्र करने वाले शाह अबदुल्लाह ने मुस्लिम सरबराहों की कोंन्फ़्रैंस को ज़रूरी समझा है तो नफ़रत के अंगारों पर हुकूमत करने वाले मुस्लिम दुनया के सरबराहान अपने इख़तिलाफ़ात दूर रख कर इत्तिहाद-ओ-इत्तिफ़ाक़ की मेज़ पर जमा होने से गुरेज़ ना करें।

मग़रिबी दुनया को भी इन दिनों कई तरह के बोहरानों का सामना है। इस के बावजूद ये ताकतें आपसी इत्तिहाद के ज़रीया अपने बोहरान को हल करने कोशां हैं। इस के साथ साथ मुस्लिम दुनया पर उन की बदनिगाही बढ़ती जा रही है। इस लिए सब से ज़्यादा मौज़ूं और नाक़ाबिल फ़रामोश बात यही है कि आलिम इस्लाम के सरबराहों को अपने इक़तिदार और अवाम के जान-ओ-माल के तहफ़्फ़ुज़ के बारे में इस्लाही पहलू के साथ ग़ौर-ओ-ख़ौज़ करना चाहीए।

आइन्दा माह होने वाली मुस्लिम दुनया के सरबराहान की इमकानी कोंन्फ़्रैंस अगर मुफीद साबित होजाए तो इस के बेहतर नताइज बरामद होंगे। पाकिस्तान और अफ़्ग़ानिस्तान की क़ियादत को भी अपने मुहासिबा की ज़रूरत है। क्यों कि यहां अमरीकी क़ियादत की बैठे रहो पॉलीसी ने अफ़्ग़ान-ओ-पाक अवाम का जीना हराम कर दिया है।क़बज़ा गैर अनासिर की फ़ौजी ताक़त इस्लामी दुनया के सैन्य पर बैठ कर अपना राज चलाना चाहती है तो इस की साज़िश उस वक़्त नाकाम होगी, जब आलम इस्लाम का हर फ़र्द और इस की क़ियादत इत्तिफ़ाक़-ओ-इत्तिहाद के साथ आगे बढ़े।

सऊदी फ़रमांरवा शाह अबदुल्लाह बिन अबदुलअज़ीज़ अगर अपनी क़ियादत के ज़रीये आलम इस्लाम के सरबराहान-ए-ममलकत का अहम प्लेटफार्म बनाने में मदद करें तो बिलाशुबा सारी दुनया की ताकतें मुस्लिम दुनया की अहम शख्सियतों की फ़हम-ओ-फ़िरासत और क़ाइदाना किरदार देख कर अपना गिरेबान झांकने पर मजबूर हूजाएंगी। मुस्लिम दुनया को ये कोशिश करनी चाहीए कि अमन-ओ-अमान सुकून के लिए बनाए जाने वाले तमाम मंसूबे ख़ाब ना रह जाएं।