सदर मुस्लिम मुत्तहदा महाज़ निज़ामबाद अलमास ख़ान ने अपने सहाफ़ती बयान में तहफ़्फ़ुज़ शहरी हुक़ूक़ की मुख़्तलिफ़ आर्गेनाईज़ेशन पर तआवुन अमल से मुस्लिम अक़लियती नौजवानों की गै़रक़ानूनी हिरासत-ओ-हरासानी के ख़िलाफ़ मुल्क गीर मुहिम के आग़ाज़ का ख़ौरमक़दम करते हुए कहा कि एक ऐसे दौर में जबकि मुल्क में फ़िर्कापरस्ती और बद उनवान सियासत का दौर दौरा है।
अक़लियती दानिश्वरों , माहिरीन क़ानून , मुफ़क्किरीन पर मुश्तमिल तहरीक UAPA की जद्द-ओ-जहद को घटाटोप अंधेरों में रोशनी की एक किरण क़रार देते हुए कहा कि मुल्क को आम चुनाव 2014 का सामना है।
इक़तिदार की लालची सियासी जमातों , फ़िर्कापरस्त तंज़ीमों मुख़ालिफ़ मुस्लिम इदारों और क़ाइदीन को इक़तिदार की कुर्सी के लिए बहालत मौजूदा सरगर्म अमल देखा जा सकता है।
जबकि पुलिस हुक्काम तहक़ीक़ाती एजेंसीयों की कारकर्दगी एक सवालिया निशान बनी हुई है। मुल्क की हर रियासत में गै़रक़ानूनी तौर पर हरासतों की वजह सैंकड़ों ख़ानदान परेशान हैं।
इस नौईयत की ग़ैर क़ानून ग़ैर इंसानी कार्यवाईयों का सिलसिला तवील अर्सा से जारी है। मुल्क में सैंकड़ों फ़सादाद में बेशुमार मुसलमानों को जान-ओ-माली नुक़्सान उठाना पड़ा।
लेकिन वो इंसाफ़ से महरूम रहे। खास्कर रियासत गुजरात में मुसलमानों का क़त्ल-ए-आम एक मंसूबा बंद साज़िश के तहत हुआ था। लेकिन क़ातिल आज़ाद हैं। सैंकड़ों मुसलमान पुलिस की गै़रक़ानूनी हिरासत में हैं। इस नौईयत की कार्यवाईयों के इंसिदाद के लिए एक तहरीक का आग़ाज़ एक ख़ुश आइंद अलामत है।