[बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को सरकारी एजेंसियाँ किसी भी कीमत पर बरी नहीं होने देना चाहती हैं उसका तरीका निकाला गया है जेल से निकाल कर मार डालो इस सम्पूर्ण प्रकरण की जांच उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश से कराईं जाए जेल सिपाही रमा शंकर यादव के हत्यारे भी सरकारी कर्मचारी ही हो सकते]
1 नवंबर, 2016 ; मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की सेंट्रल जेल से भागे सभी आठ सिमी आतंकियों को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया है, उत्तर प्रदेश मे मुस्लिम युवाओ के केस लड़ने वाले वकील रणधीर सिंह सुमन आग बबूला है क्यूंकी इन फर्जी केसेस मामले मे वो दस सालो से पुलिस और मुसलमान युवाओ के मामले को वो नजदीकी देख रहे है, मालूम हो की तारिक क़समी और मरहूम खालिद मुजाहिद मामले मे उनके ऊपर बाराबंकी कोर्ट मे संघ के वकीलो के गुट ने हमला भी किया था, उन्होने प्रैस मे जारी बयान मे कहा है की आतंकी सोमवार तड़के जेल में एक प्रधान आरक्षक की हत्या कर जेल से फरार हो गए थे।
इसके बाद पुलिस ने इन्हें गुनगा थाना क्षेत्र में ईंटखेड़ी गांव के पास घेर कर एनकाउंटर में ढेर कर दिया। इन आतंकियों में जाकिर हुसैन सादिक, मोहम्मद सलीक, महबूब गुड्डू, मोहम्मद खालिद अहमद, अकील, अमजद, शेख मुजीब और मजीद शामिल थे। पुलिस के अनुसार सोमवार तड़के साढ़े तीन बजे जेल के बी ब्लॉक में बंद सिमी के आठ आतंकियों ने बैरक तोड़ने के बाद हेड कांस्टेबल रमाशंकर की हत्या कर दी। इसके बाद चादर की मदद से आतंकी दीवार फांदकर फरार हो गए थे। कारागार में जहाँ कैदी बंद किये जाते हैं उस कमरे के बाद तीन बड़ी दीवालें होती हैं और हर जगह पहरा होता है शाम को जब एक बार कैदी बैरक के अन्दर बंद कर दिया जाता है तो सुबह ही बैरक खोला जाता है इसलिए वार्डन की हत्या कर कैदियों का भाग जाना कहीं से भी संभव नहीं प्रतीत होता है।
जिसकी पुष्टि प्रत्यक्षदर्शियों नेबताया कि उनलोगों ने कुछ लोगों को भागते हुए देखा था। जब उनलोगों ने उसे रोकने की कोशिश की तो आतंकी उन पर रोड़े बरसाने लगे। इसके तुरंत बाद गांववालों ने पुलिस को इसकी सूचना दी। मौके पर तुरंत पहुंची पुलिस ने थोड़ी ही देर में एनकाउंटर में इन सभी आतंकियों को मार गिराया।विशेष बात यह भी है की घटनास्थल पर कोई असलहा आतंकवादियो के पास से नही पाया गया है। भोपाल में सिमी के कैदियों को एनकाउंटर में मार गिराने की बात तथ्यों के विपरीत होने के कारण फर्जी मुठभेड़ हैं इसकी जांच कराए जाने की आवश्यकता है जेल से निकाल हत्या कर दी है।
वकील रणधीर सिंह सुमन ने शिवराज सरकार पर सवाल उठाते कहा है की भोपाल सेंट्रल जेल देश के चुनिंदा आधुनिक अति सुरक्षित जेलों मे माना जाता तो ऐसे कैसे हो गया की 8 बन्दी एक गार्ड का मर्डर भी कर देते हैं और फिर भाग भी जाते हैं और किसी को कानो कां खबर भी नही हुई ? ये कि जेल से भागने के 10 घंटे बाद भी आठों बंदी 10 किलोमीटर भी नही भाग पाये और एक साथ एक जगह छिपे रहे ? मध्यप्रदेश सरकार के ग्रह मंत्री कहते हैं कि फरार कैदियों के पास कोई हथियार नही था तो वहीं पुलिस के आला अधिकारी कह रहे हैं की वो हथियारों से लैस थे और उन्होंने पुलिस पे फायर किये जिसके बदले मे पुलिस ने उन्हें मार गिराया। उपरोक्त परिस्थितियां इस बात को और बल देती हैं की इनकाउंटर यह फ़र्ज़ी है ऐसे क्या हालात पैदा हो गए कि पुलिस को आठों कैदियों को जान से मारना पड़ा? क्या उनमे से कोई ज़िंदा नही पकड़ा जा सकता था ?
आठ आतंकियों का भागा जाना और फिर एनकाउंटर में एक साथ मारे जाना। जेल के अन्दर से अगर निकाल कर मुठभेड़ के नाम पर हत्याएं की जा रही हैं एनकाउंटर करने का यह भी है कि उनके मुकदमे साक्ष्य के अभाव में समाप्त हो सकते थे बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को सरकारी एजेंसियाँ किसी भी कीमत पर बरी नहीं होने देना चाहती हैं उसका तरीका निकाला गया है जेल से निकाल कर मार डालो इस सम्पूर्ण प्रकरण की जांच उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश से कराईं जाए जेल सिपाही रमा शंकर यादव के हत्यारे भी सरकारी कर्मचारी ही हो सकते हैं।
“लेखक यूपी के जाने-माने वकील हैं और आतंकवाद के मामलों में बंद मुस्लिमों के कई अहम केस देख रहे हैं”