मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में बढ़ी महिलाओं की हिस्सेदारी

फैसल फरीद

लखनऊ: तीन तलाक का बचाव करने के लिए दबाव झेल रहे आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने संगठन में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ा दी है।

शुक्रवार को कोलकाता में मुस्लिम बोर्ड के चल रहे सम्मेलन के दौरान नौ मुस्लिम महिलाओं को बोर्ड में सदस्य के रूप में शामिल किया गया। इस फैसले का मकसद तीन तलाक और महिलाओं से सम्बंधित अन्य विषयों से जुड़े मुद्दों पर अपने विचार पेश करने के लिए महिलाओं को मंच देने के लिए है। इसके ज़रिये बोर्ड की कोशिश है कि वह ऐसी तस्वीर दिखा सके जिसमें महिलाएं भी तीन तलाक को रद्द करने के खलाफ दिखें।

कोलकाता में चल रहे मुस्लिम बोर्ड के सम्मलेन में मुख्य मुद्दे तीन तलाक़ और समान नागरिक सहिंता ही हैं।

जिन नौ महिलाओं को शामिल किया गया है उनमें लखनऊ की निकहत फातिमा, आमना रिजवान और अलीगढ़ की अज़रा निकहत, विजयवाड़ा की तबस्सुम, चेन्नई की फातिमा मुजफ्फर, सुमैय्या नसीम और मुंबई की डॉ आलिया, ए एस ज़ैनब और केरल की यासमीन फारूकी शामिल हैं। उन्हें तीन तलाक़ और अन्य मुद्दों के बारे में महिलाओं के बीच गलतफहमी को दूर करने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।

वर्तमान में एआईएमपीएलबी के 250 सदस्य हैं जिनमें महिलाओं की संख्या अब 45 से बढ़ कर 54 हो गयी है। बोर्ड की कार्यकारी समिति में 51 सदस्य हैं जिनमें छह महिलाएं शामिल हैं। अधिवेशन में दारुल नदवातुल उलूम, लखनऊ के रेक्टर मौलाना हसन राबे नदवी को निर्विरोध बोर्ड का अध्यक्ष चुना गया है। मौलाना पांचवी बार एआईएमपीएलबी के अध्यक्ष बनाये गए हैं।