मुस्लिम भाइयों का दर्द बाटने के लिए कश्मीरी ईसाईयों ने नहीं मनाया क्रिसमस उत्सव

कश्मीर में हाल ही के ग्रीष्म विद्रोह के दौरान नागरिकों को मारे जाने के परिणाम में रविवार को क्रिसमस कठोर नियमो के साथ मनाया गया। कश्मीर की एमए सड़क पर होली फैमिली कैथोलिक चर्च के पादरी फादर रॉय मैथयू ने कहा कि ईसाई समुदाय मिल कर मुस्लिम भाइयो का दर्द बाटेंगे। इसी मौके पर उन्होंने खास प्रार्थना का भी आयोजन किया।

क्रिसमस की सुबह को क्रिसमस सन्देश देते हुए मैथयू ने कहा कि हम कश्मीरी मुसलमानों के दर्द में उनके साथ हैं। हम सिर्फ प्रार्थना करेंगे लेकिन क्रिसमस का उत्सव नहीं मनाएंगे। 25 दिसम्बर को जीसस क्राइस्ट के सालाना जन्मदिन का स्मरण होता है और पूरे विश्व में इस दिन को क्रिसमस के तौर पर मनाया जाता है। कश्मीर की ग्रीष्म राजधानी श्रीनगर के चर्च में सुबह 11 बजे से करीब एक घण्टे लंबी प्रार्थना हुई।

रिपोर्ट्स के अनुसार पिछले साल लगभग 250 लोगो ने प्रार्थना में भाग लिया था। लेकिन इस बार वो संख्या घट कर 150 ही नज़र आई। यह घाटी में पिछले तीन सालों में दूसरी बार है जब ईसाई समुदाय इतने तनाव में क्रिसमस मना रहे हैं। 2014 में भयंकर बाढ़ से 450 लोग मारे गए थे और करोड़ो प्रभावित हुए थे जिसके कारण समुदाय ने बहुत ही सादा सा क्रिसमस उत्सव मनाया था।

जैसा की उम्मीद की जाती है वैसे ही क्रिसमस का दिन चर्च में ख़ास प्रार्थनाओं से शुरू हुआ। प्रमुख प्रार्थनाएं घाटी की ग्रीष्म राजधानी श्रीनगर के संत ल्युक्स चर्च और ऑल संत चर्च में की गयी। वही कश्मीर की बरमुल्लाह ज़िले के संत जोसफ चर्च में प्रार्थना का आयोजन किया गया। साथ ही साथ प्रदेश के सबसे पुराने कैथोलिक चर्च एवं गुलमार्ग में पर्यटक स्थल के चर्च में भी प्रार्थना का आयोजन हुआ।
इसी तरह कश्मीर की शीत राजधानी जम्मू के कई भागों में भी प्रार्थनाओं का आयोजन किया गया।