नई दिल्ली। तेलंगाना बनने के दलितों और मुसलमओं का साथ आना ज़रूरी है। यह वक्त की ज़रूरत है। हम दलितों और मुसलमानों के साथ आने के हिमायती हैं। आप देखिएगा, हमारी लिस्ट तो आने दीजिए। बातचीत चल रही हैं। यह बहुत पहले हो जाना चाहिए था। महिलाएं हमारे समाज का आधा हिस्सा हैं और उनके सशक्तिकरण के लिए पढ़ाई, रोजगार और बाकी चीजों के साथ ही उनका राजनीतिक सशक्तिकरण भी जरूरी है। इसीलए हमने इस बार यह पहल की है।
हम तो इससे पहले मुसलमानों को आरक्षण की बात कहते हैं। धर्म के नाम पर आरक्षण में भेदभाव क्यों? मुस्लिम महिलाओं को भी 33 फीसदी आरक्षण मिले, यह ज़रूरी है। हम महिलों को आगे लाएंगे। हम भाषा के आधार पर मुसलमानों में भेदभाव नही करते हैं। मैं असमिया नही जनता, पर असम में जाकर मुसलमानों के हक की बात करता हूं, मैं कश्मीरी नही जानता पर कश्मीर में वहां के मुसलमानों की बात करता हूं। मैं कैसे तेलुगु मुसलमानों से भेदभाव कर सकता हूं