मुस्लिम महिलाओं ने संभाला मोर्चा, मोदी सरकार के तीन तलाक़ बिल को वापस लेने के लिए किया प्रदर्शन

मुंबई। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की महिला इकाई ने गुरुवार को नागपाडा जंक्शन और क्रॉफर्ड मार्केट में प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन तीन तलाक विधेयक को वापस लेने के लिए किया गया। बोर्ड की महिला इकाई ने इन इलाकों के एसीपी को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगें रखीं।

लॉ बोर्ड की सदस्य मोनिशा बुशरा ने कहा कि मुस्लिम वुमन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट ऑन मैरिज) विधेयक 2017, जो लोकसभा से पास हो चुका है, हम इसके सख्त खिलाफ हैं।

उन्होंने कहा कि यह बिल न सिर्फ मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय करता है, बल्कि भारतीय संविधान के भी खिलाफ है। इस बिल में कुछ ऐसे प्रावधान किए गए हैं, जो मुस्लिम महिलाओं और उनके बच्चों के साथ नाइंसाफी करते हैं।

बिल में तीन तलाक को आपराधिक कृत्य बताया गया है, जो सरासर अन्याय तो है ही, असंवैधानिक भी है। मोनिशा बुशरा ने कहा कि 22 अगस्त, 2017 के अपने फैसले में जब सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को अवैध करार दे दिया था, तो इस तरह के विधेयक की जरूरत ही नहीं रह गई थी।
मुस्लिम लॉ बोर्ड की महिला इकाई ने कहा कि केंद्र सरकार को यह बिल लोकसभा में रखने से पहले इस्लामिक जानकारों, महिलाओं और बुद्धिजीवियों से बात करना चाहिए थी।

सरकार जानती थी कि अगर वह ऐसा करेगी तो यह बिल कभी पास नहीं हो सकता। बुशरा ने कहा कि यह बिल अल्पसंख्यकों की भावनाओं को आहत करता है और मुल्क को एक धर्म, एक झंडे की तरफ ले जाने का इशारा करता है।

लॉ बोर्ड की महिला इकाई ने राष्ट्रपति के उस बयान पर भी आपत्ति दर्ज कराई है, जो उन्होंने पिछले दिनों संयुक्त संसदीय कार्यवाही के दौरान दिया था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने अभिभाषण में संसद के दोनों सदनों के सांसदों को संबोधित करते हुए कहा था कि पिछले कई दशकों से मुस्लिम महिलाओं का सम्मान राजनीतिक फायदे-नुकसान के लिए किया जाता रहा है।

उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करते हुए तीन तलाक विधेयक को मुस्लिम महिलाओं के लिए न्यायपूर्ण बताया था। लॉ बोर्ड ने राष्ट्रपति के इस बयान से ‘मुस्लिम महिला’ शब्द हटाने की मांग की है।

साभार-NBT