हैदराबाद 16 मई: जलालुद्दीन अकबर आई एफ़ एस कनज़रवेटर महिकमा जंगलात ने कहा कि मुआशरे ने जब से इस्लामी तालीमात से दूरी इख़तियारी की और दूसरों की तहज़ीब को अपना शिकार बनाया तो घमबीर सूरते हाल पैदा होती जा रही है।
इस लिए मुसलमानों को चाहीए कि वो ग़ैरों की तहज़ीब-ओ-इक़दार से दूरी इख़तियार करें और इस्लामी तालीमात को अमली नमूना बनाएँ । उन्होंने कहा कि इन दिनों ज़्यादा रिश्ते इसी वजह से तए नहीं हो पा रहे हैं कि वालिदैन इंतेख़ाब में मसलक तालीम उम्र और क़द के साथ ख़ूबसूरती को एहमीयत दे रहे हैं।
असल बात ये है कि ये मयारात सब बे-बुनियाद हैं असल मयार तो अख़लाक़-ओ-किरदार रहे उस के ज़रीये लड़की अपने घर और ख़ानदान को जन्नतनिशॉँ बना सकती है।
इन ख़्यालात का इज़हार जलालुद्दीन अकबर सियासत और माइनॉरिटी डेवलपमेंट फ़ोरम के ज़ेरे एहतेमाम 59 वीं दु बा दु मुलाक़ात प्रोग्राम से किया। जो रॉयल रेजीडेंसी गार्डन फंक्शन हाल आसिफ़नगर में मुनाक़िद हुआ। ज़हीरुद्दीन अली ख़ान मैनेजिंग एडिटर रोज़नामा सियासत ने सदारत की।
मुहम्मद अबदुल क़दीर कारगुज़ार सदर एम डी एफ़ ने मेहमानान ख़ुसूसी और शुरका का ख़ौरमक़दम क्या। जलालुद्दीन अकबर ने कहा कि नौजवान इन दिनों आला तालीम की तरफ़ ज़्यादा तवज्जा दे रहे हैं और वो मुल्क ही नहीं बल्के बैरून-ए-मुमालिक में रोज़गार से मरबूत हो कर अपने माली मौकुफ़ को मुस्तहकम बनाए हुए हैं। उस के अलावा बाज़ नौजवान फ़िल्मी शख़्सियात को अपना रोल मॉडल बना रहे हैं और उनके जैसे तरीक़ों पर ज़िंदगी बसर करने पर मजबूर है इस लिए नौजवानों को चाहीए कि वो अपना रोल मॉडल क़ुरअन हदीस और नबी करीम(सल्लललाहु अलैहि वसल्लम) की शख़्सियत को बनाएँ।
उन्होंने कहा कि शादी बियाह का सारे का सारा मुआमला बड़ा आसान है लेकिन घोड़े-ओ-जोड़े और नित-नए तरीक़ों जो ग़ैर क़ौम इख़तियार कर रही उस को छोड़ना होगा। उन्होंने कहा कि रियासती हुकूमत मुस्लिम ग़रीब लड़कीयों को शादीयों के लिए 51 हज़ार रुपये देने की जो स्कीम शुरू की है इस के बेहतर नताइज बरामद हो रहे हैं जिससे शहर ही नहीं बल्के अज़ला के मुस्लिम घरानों को भी इस स्कीम के ज़रीये राहत मिली है।
उन्होंने एक खाना और एक मीठा का ख़ौरमक़दम किया और कहा कि अगर उस को मुस्लमान इख़तियार करेंगे तो वो शादीयों में इसराफ़ को कम कर सकते हैं।