हैदराबाद 28 अक्टूबर: मुसलमानों की शैक्षिक, सामाजिक और आर्थिक पसमांदगी का समीक्षा लेने वाले सुधीर आयोग जांच ने संदेह के आधार पर मुस्लिम युवकों की गिरफ्तारी को रोकने के लिए कट्टरपंथी उपायों की सिफारिश की है।
आयोग की ओर से पेशकश रिपोर्ट में महत्वपूर्ण सिफारिश के रूप में सरकार को सलाह दी गई है कि वह तेलंगाना पुलिस में मुसलमानों के विश्वास को बनाए रखे। मुसलमानों को पुलिस के साथ साथ अन्य सयान्ती संस्थाओं पर पूरा भरोसा है। मुसलमानों में विश्वास और सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए उनकी अंधाधुंध गिरफ्तारी और संदेह के आधार पर आतंकवाद और अन्य अपराधों के तहत गिरफ्तारी को रोकने की जरूरत है।
इस संबंध में पुलिस को प्रोत्साहन दिया जाए। सरकार को चाहिए कि वह राजधानी हैदराबाद में सांप्रदायिक सद्भाव की अवधारण को सुनिश्चित करें। सुधीर आयोग जांच ने मुसलमानों की स्थिति के बारे में अवामी समाअत के दौरान इस बात को महसूस किया था कि आतंकवाद और अन्य आरोपों के तहत मुस्लिम युवकों की गिरफ्तारी से मुसलमानों में चिंता पाई जाती है। केवल संदेह के आधार पर गिरफ्तारियां जारी रखने से पुलिस और अन्य एजेंसियों में मुसलमानों का विश्वास स्थिर हो जाएगी।
सुधीर आयोग ने सभी शोबेजात में मुसलमानों की उचित हिस्सेदारी के लिए यकसाँ मवाक़े कमीशन के क़ियाम की सिफारिश की है ताकि सरकारी नौकरियों में तक़र्रुत विभिन्न कलात्मक और प्रतिस्पर्धी कोर्सेस में प्रशिक्षण और विकास कार्यक्रमों में मुसलमानों की अन्य तबक़ात के बराबर हिस्सादारी और जिम्मेदारी सुनिश्चित बनाया जा सके। यह आयोग विकास और कल्याणकारी योजनाओं में मुसलमानों को समान अवसर उपलब्ध कराने पर नजर रखेगा।
आयोग इस बात को सुनिश्चित बनाएगा कि ख़ानगी और अवामी शोबाजात में भी अन्य तबक़ात के साथ मुसलमानों को यकसाँ मवाक़े फ़राहम हूँ। यह आयोग स्वायत्त संस्था के रूप में काम करे और मुसलमानों के खिलाफ किसी भी पूर्वाग्रह या जांबदारी की जांच करे चाहे किसी आर्थिक, धार्मिक, ज़ातपात, ज़बान या किसी अन्य आधार पर हो।
यकसाँ मवाक़े आयोग हर शोबे को कवर किया। शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और विकास स्कीमात तक अपनी पहुंच रहे इन सभी मामलों में सुधार और अन्याय के रोकथाम के लिए आयोग को काम करना होगा।
मुसलमानों को ऋण की मंजूरी, घरों की आपूर्ति और शिक्षा मैदान में अन्याय और भेदभाव का ख़ातमा भी आयोग की जिम्मेदारी होनी चाहिए। सुधीर आयोग ने हर शोबे में मुसलमानों के पसमांदगी को स्वीकार करते हुए साबित किया कि 80 प्रतिशत से अधिक मुसलमान पसमांदगी हैं। आयोग ने उर्दू मदरसों की बदहाली और उनके खराब गुणवत्ता शिक्षा भी पहचान की है।
आयोग ने उर्दू ज़रीया शिक्षा के छात्रों को अंग्रेजी बतौर लेख पढ़ाने की सिफारिश की है ताकि उर्दू मीडियम छात्रों की मयार में वृद्धि हो। हाई स्कूल से छात्रों को ज़रीया शिक्षा बदलने की अनुमति दी जाए। आयोग ने उर्दू शिक्षकों की मख़लवा जायदादों को जल्दी से और एससी, एसटी श्रेणियों की महफ़ूज़ जायदादों को असुरक्षित करते हुए उन्हें जल्दी पुर करने की सिफारिश की है।