हैदराबाद 13 जुलाई: मुसलमानों की तालीमी और मआशी पसमांदगी के ख़ातमे के सिलसिले में हर हुकूमत मुख़्तलिफ़ दावे करती है। आज़ादी से लेकर आज तक सियासी जमातों ने मुसलमानों को वोट बैंक की ख़ातिर इस्तेमाल करने के लिए उनकी पसमांदगी पर मगरमच्छ के आँसू बहाए। अब जबकि मुसलमानों में अपने हुक़ूक़ हासिल करने के लिए शऊर बेदार हो रहा है, सियासी जमातें नित-नए वादों के ज़रीये उन्हें ख़ुश करने में मसरूफ़ हैं ताकि अपने मक़सद की तकमील हो सके। पसमांदगी के ख़ातमे के लिए हुकूमतों का बजट और उनकी स्कीमात नाकाफ़ी है, लिहाज़ा मुसलमानों ने तालीम और रोज़गार में रिजर्वेशन के हुसूल की मुहिम शुरू की है। क़ौमी सतह पर मुस्लिम रिजर्वेशन की मुहिम के आग़ाज़ की कोशिश की गई लेकिन वो सियासी मस्लहतों का शिकार हो गई।
जस्टिस राजिंदर सच्चर कमेटी ने जिस अंदाज़ में मुसलमानों की पसमांदगी का अहाता किया और जिन हक़ायक़ को दुनिया से रूबरू क्या, उस की बुनियाद पर क़ौमी सतह पर रिजर्वेशन की फ़राहमी का मुतालिबा किया गया लेकिन ये देरपा साबित नहीं हुआ। मुत्तहदा आंध्र प्रदेश में वाई इसराज शेखर रेड्डी की ज़ेर क़ियादत कांग्रेस हुकूमत की तरफ से मुसलमानों को 4 फ़ीसद रिजर्वेशन की फ़राहमी के बाद दुसरे रियासतों में भी मुसलमानों ने रिजर्वेशन की मुहिम का आग़ाज़ किया। अगरचे 4 फ़ीसद रिजर्वेशन का मुआमला सुप्रीमकोर्ट में ज़ेर दौरान है लेकिन अदालत ने क़तई फ़ैसले तक रिजर्वेशन पर अमल आवरी की इजाज़त दी है। 2014 के आम इंतेख़ाबात में टीआरएस को मुसलमानों की अटूट ताईद और तेलंगाना तहरीक में उनकी हिस्सादारी को महसूस करते हुए चन्द्र शेखर राव ने 12 फ़ीसद रिजर्वेशन का वादा किया। उन्होंने इक़तिदार के 4 माह में रिजर्वेशन की फ़राहमी का एलान किया था लेकिन हुकूमत के दो साल गुज़रने के बावजूद आज तक इस सिलसिले में कोई पेशक़दमी नहीं की गई।
हुकूमत का ये दावा है कि उसने मुसलमानों की तालीमी-ओ-मआशी पसमांदगी के सर्वे के लिए सुधीर कमीशन क़ायम किया है लेकिन हक़ीक़त में रिजर्वेशन की फ़राहमी के लिए ये कमीशन और इस की रिपोर्ट किसी भी एतबार से कारगर साबित नहीं हो सकती। होना तो ये चाहीए कि बयाक वर्ड क्लासस कमीशन के क़ियाम के ज़रीये इस से सिफ़ारिशात हासिल की जाएं।
साबिक़ में जब राज शेखर रेड्डी हुकूमत ने बीसी कमीशन की सिफ़ारिश के बग़ैर 5 फ़ीसद रिजर्वेशन फ़राहम किए थे , उस वक़्त अदालत ने ये कहते हुए रिजर्वेशन को कुलअदम कर दिया कि बीसी कमीशन की सिफ़ारिशात के बग़ैर हुकूमत का फ़ैसला ग़ैर दस्तूरी है।
इस हक़ीक़त को जानने के बावजूद केसीआर हुकूमत की तरफ से सुधीर कमीशन का क़ियाम और इस की मीयाद में दो मर्तबा तौसी ने मुसलमानों में हुकूमत की संजीदगी पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। चीफ़ मिनिस्टर ने पिछ्ले दिनों एलान किया था कि सुधीर कमीशन चंद दिन में अपनी रिपोर्ट पेश कर देगा जबकि हक़ीक़त उस के बरख़िलाफ़ है। कमीशन के पास रिपोर्ट की पीशकशी के लिए दरकार मवाद दस्तयाब नहीं है, जिन सरकारी मह्कमाजात से तफ़सीलात तलब की गई थीं